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काम की बात: टॉप फ्लोर पर रहने वालों लोगों के लिए अच्छी खबर, जानकर झूम उठेंगे आप
फीचर डेस्क, अमर उजाला
Published by: धर्मेंद्र सिंह
Updated Sun, 14 Sep 2025 04:32 PM IST
सार
काम की बात: बिल्डिंग के टॉप फ्लोर में रहने वाले लोगों के अच्छी खबर हैं। टॉप फ्लोर में रहने वालों लोगों को अब मेंटेनेंस चार्ज नहीं देना होगा। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिल्डिंग के टेरेस के आंतरिक मरम्मत कार्य को लेकर दो दिन पहले एक अहम फैसला सुनाया है।
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टॉप फ्लोर पर रहने वालों लोगों के लिए अच्छी खबर
- फोटो : Adobe Stock
काम की बात: बिल्डिंग के टॉप फ्लोर में रहने वाले लोगों के अच्छी खबर हैं। टॉप फ्लोर में रहने वालों लोगों को अब मेंटेनेंस चार्ज नहीं देना होगा। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिल्डिंग के टेरेस के आंतरिक मरम्मत कार्य को लेकर दो दिन पहले एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नियमों के मुताबिक टेरेस सोसायटी की संपत्ति है। लिहाजा टेरेस का रिपेयरिंग का काम सोसायटी की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने एक मामले सुनवाई करते हुए यह फैसाल सुनाया है।
कोर्ट में फैसले में कहा है कि सोसायटी टेरेस रिपेयर की लागत टॉप फ्लोर पर रहने वाले सदस्यों से नहीं ले सकती है। टेरेस से पानी लीकेज के मरम्मत खर्च को मेंटेनेंस बिल में शानिल कर सकती है। कोर्ट ने नवी मुंबई की 12 बिल्डिगों की एक को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की याचिका को खारिज करते हुए यह अहम फैसला सुनाया।
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अथॉरिटी के आदेश को सोसायटी ने दी थी चुनौती
हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि सोसायटी को राहत न देने के संबंध में साल 2015 में सहकारिता विभाग की रिवीजनल अथॉरिटी (मंत्री) ने जो वजहें बताए हैं, वे ठोस हैं। वो कानून के प्रावधानों के अनुरूप है। अथॉरिटी के आदेश में कोई खामी नहीं है, जिसके कारण उसे कायम रखा जाता है। इससे पहले जॉइंट रजिस्ट्रार ने भी सोसायटी को राहत देने से मना कर दिया था। सोसायटी ने अथॉरिटी के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
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'सोसायटी की संपत्ति है टेरेस'
जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा कि मौजूदा मामला सोसायटी और सदस्यों के बीच विवाद का नहीं, बल्कि नियमों के अमल से संबंधित है। सोसायटी बाय लॉ नंबर 160ए के तहत टेरेस के आंतरिक मरम्मत का खर्च टॉप फ्लोर के सदस्यों से नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि बिल्डिंग की टेरेस सोसायटी की संपत्ति है।
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सहकारिता विभाग की रिवीजनल अथॉरिटी का कहना था कि अगर सोसायटी ने उक्त सदस्यों से मरम्मत खर्च लिया हो तो वह उन्हें वापस करे। जस्टिस जाधव ने अथॉरिटी के इस आदेश में हस्तक्षेप करने से साफ मना कर दिया।
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उन्होंने कहा कि अगर सोसायटी के सदस्य विशेष आम सभा बैठक में बहुमत से सोसायटी बाय लॉ नंबर 160ए के विपरीत मरम्मत निधि एकत्रित करने का निर्णय लेते हैं, तो इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
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