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अमृतसर : एसजीपीसी शुरू करेगी अपना गुरुबाणी एप, गुरुबाणी के अशुद्धि वाले एप करवाए जाएंगे बंद
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अमृतसर। एसजीपीसी ने गुरुबाणी, नितनेम बाणियां, सुंदर गुटका, सिख रहित मर्यादा व सिख इतिहास को लेकर एक एप बनाने का फैसला लिया है। एसजीपीसी की कार्यकारिणी कमेटी की बुधवार को हुई बैठक के दौरान इस संबंधी प्रस्ताव पास किया गया। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान गुरुबाणी का अशुद्ध प्रचार करने वाले निजी कंपनियों के एप्स के खिलाफ कार्रवाई करने का भी फैसला लिया है। यह भी कहा गया अगर कोई निजी कंपनी गुरुबाणी के प्रचार के लिए एप बनाना चाहती है तो उसे सारी सामग्री व इतिहास एसजीपीसी की ओर से नियमों के अनुसार प्रदान किया जाएगा।
एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने बताया कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आदेश दिए थे कि रिपोर्ट मिली है कि कुछ एप गुरुबाणी के अशुद्ध एप चला रहे हैं, जांच के दौरान शिकायतें सही पाई गईं। इसलिए अब एसजीपीसी ने अपना एप तैयार करने का फैसला लिया है।
बैठक में फैसला लिया गया कि एसवाईएल नहर बनाने के कार्यों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बलविंदर सिंह जटाणा की तस्वीर केंद्रीय सिख अजायब घर में लगाने का फैसला लिया गया है। वहीं एसजीपीसी के जूनियर उपाध्यक्ष प्रिंसिपल सुरिंदर सिंह और पूर्व एसजीपीसी के सदस्य हरजिंदर सिंह राणिया की तस्वीर भी अजायब घर में स्थापित की जाएगी।
बैठक में लिए अलग-अलग फैसलों में कहा गया कि एसजीपीसी हर वर्ष पहले की तरह एतिहासिक कांफ्रेंस आयोजित किया करेगी। पहली कांफ्रेंस पंजा साहिब व गुरु का बाग मोर्चा की सौ वर्षीय शताब्दी को समर्पित होगी। विशाल गुरमति कार्यक्रम व सेमिनार आयोजित होंगे। वहीं आस्ट्रेलिया के सिख संगत की मांग को मुख्य रख श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 330 पावन स्वरूप ऑस्ट्रेलिया भेजे जाएंगे। स्वरूप चार्टर्ड हवाई जहाज के माध्यम से पूर्ण मर्यादा के अनुसार भेजे जाएंगे। हरियाणा में पीर बुद्धू शाह की एतिहासिक हलेवी को भी एसजीपीसी संभालेगी।
धामी ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से गांव मत्तेवाल में विशाल जंगल को उजाड़ कर वहां इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने की योजना बनाई है, जिसकी एसजीपीसी निंदा करती है। वन को उजाड़ना नहीं चाहिए। आज पर्यावरण की रक्षा समय की जरूरत है, परंतु सरकार वनों को उजाड़ रही है। एसजीपीसी अपने अधीन गुरुद्वारों के अंदर एक-एक एकड़ भूमि पर वन लगवाएगी।
धामी ने कहा कि कनाडा के अंदर सिख स्वरूप वाले सिक्योरिटी कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का फैसला लिया गया था, परंतु बाद में वहां के सिखों के दबाव के कारण इस फैसले का वापस लिया गया। एसजीपीसी मांग करती है कि विदेशों की सरकारें कोई भी ऐसा फैसला न लें जो सिखों के भविष्य व धर्म के खिलाफ जाता हो। उन्होंने कनाडा में सिख निजी सुरक्षा गार्डों को दाढ़ी कटवाने के दिए आदेशों की भी निंदा की। बैठक में ऑस्ट्रेलिया में पंजाब को वहां की पहली छह भाषाओं में शामिल करने का स्वागत भी किया गया।

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एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने बताया कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आदेश दिए थे कि रिपोर्ट मिली है कि कुछ एप गुरुबाणी के अशुद्ध एप चला रहे हैं, जांच के दौरान शिकायतें सही पाई गईं। इसलिए अब एसजीपीसी ने अपना एप तैयार करने का फैसला लिया है।
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बैठक में फैसला लिया गया कि एसवाईएल नहर बनाने के कार्यों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बलविंदर सिंह जटाणा की तस्वीर केंद्रीय सिख अजायब घर में लगाने का फैसला लिया गया है। वहीं एसजीपीसी के जूनियर उपाध्यक्ष प्रिंसिपल सुरिंदर सिंह और पूर्व एसजीपीसी के सदस्य हरजिंदर सिंह राणिया की तस्वीर भी अजायब घर में स्थापित की जाएगी।
बैठक में लिए अलग-अलग फैसलों में कहा गया कि एसजीपीसी हर वर्ष पहले की तरह एतिहासिक कांफ्रेंस आयोजित किया करेगी। पहली कांफ्रेंस पंजा साहिब व गुरु का बाग मोर्चा की सौ वर्षीय शताब्दी को समर्पित होगी। विशाल गुरमति कार्यक्रम व सेमिनार आयोजित होंगे। वहीं आस्ट्रेलिया के सिख संगत की मांग को मुख्य रख श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 330 पावन स्वरूप ऑस्ट्रेलिया भेजे जाएंगे। स्वरूप चार्टर्ड हवाई जहाज के माध्यम से पूर्ण मर्यादा के अनुसार भेजे जाएंगे। हरियाणा में पीर बुद्धू शाह की एतिहासिक हलेवी को भी एसजीपीसी संभालेगी।
धामी ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से गांव मत्तेवाल में विशाल जंगल को उजाड़ कर वहां इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने की योजना बनाई है, जिसकी एसजीपीसी निंदा करती है। वन को उजाड़ना नहीं चाहिए। आज पर्यावरण की रक्षा समय की जरूरत है, परंतु सरकार वनों को उजाड़ रही है। एसजीपीसी अपने अधीन गुरुद्वारों के अंदर एक-एक एकड़ भूमि पर वन लगवाएगी।
धामी ने कहा कि कनाडा के अंदर सिख स्वरूप वाले सिक्योरिटी कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का फैसला लिया गया था, परंतु बाद में वहां के सिखों के दबाव के कारण इस फैसले का वापस लिया गया। एसजीपीसी मांग करती है कि विदेशों की सरकारें कोई भी ऐसा फैसला न लें जो सिखों के भविष्य व धर्म के खिलाफ जाता हो। उन्होंने कनाडा में सिख निजी सुरक्षा गार्डों को दाढ़ी कटवाने के दिए आदेशों की भी निंदा की। बैठक में ऑस्ट्रेलिया में पंजाब को वहां की पहली छह भाषाओं में शामिल करने का स्वागत भी किया गया।