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दिल्ली चुनाव में जीत से बढ़ा उत्साह: अब पंजाब में कमल खिलाने के लिए तैयार भाजपा, ये है एक्शन प्लान
सुशील कुमार, संवाद, सुनाम ऊधम सिंह वाला (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 10 Feb 2025 03:50 PM IST
सार
पंजाब में भाजपा अकाली दल के साथ सत्ता में रह चुकी है। किसान आंदोलन के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए थे जिसके बाद दोनों दलों ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़े थे।
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भाजपा पंजाब के लिए तैयार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली के बाद भाजपा नेतृत्व का फोकस पंजाब में कमल खिलाने पर रहने वाला है। बड़ी जीत से पंजाब की भाजपा लीडरशिप खासी उत्साहित नजर आ रही है। भाजपा नेतृत्व 2027 के होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कसता दिखाई दे रहा है।
भविष्य में अकाली नेताओं के साथ भाजपा दिख सकती है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा फिलहाल अकाली दल को अपने भीतरी कलह से बाहर निकलने का इंतजार कर रही है। यदि हालात दुरुस्त नहीं हुए तो भाजपा, पंजाब में बागी अकाली नेताओं से गठबंधन करने पर विचार कर सकती है। भाजपा संकेत दे रही है कि पंजाब के भले के लिए पार्टी हर कदम उठाएगी फिर चाहे वो किसी पार्टी से गठबंधन ही क्यों ना हो। पंजाब में भाजपा चाहती है कि लोगों को हिंदू-सिख एकता का संदेश देते हुए सियासत को आगे बढ़ाया जाए। हालांकि, सियासी माहिरों का मानना है कि यह कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है।
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भविष्य में अकाली नेताओं के साथ भाजपा दिख सकती है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा फिलहाल अकाली दल को अपने भीतरी कलह से बाहर निकलने का इंतजार कर रही है। यदि हालात दुरुस्त नहीं हुए तो भाजपा, पंजाब में बागी अकाली नेताओं से गठबंधन करने पर विचार कर सकती है। भाजपा संकेत दे रही है कि पंजाब के भले के लिए पार्टी हर कदम उठाएगी फिर चाहे वो किसी पार्टी से गठबंधन ही क्यों ना हो। पंजाब में भाजपा चाहती है कि लोगों को हिंदू-सिख एकता का संदेश देते हुए सियासत को आगे बढ़ाया जाए। हालांकि, सियासी माहिरों का मानना है कि यह कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है।
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पंजाब में वोट शेयर 18% से ऊपर पहुंचा
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का पंजाब में वोट शेयर 6% से बढ़कर 18% से ऊपर पहुंच गया, लेकिन इससे आगे बढ़ने के लिए भाजपा को पंजाबियों को यह भरोसा दिलाना होगा कि भाजपा, सिख समर्थक और किसान हितैषी पार्टी है। दिग्गज अकाली नेताओं के साथ आने से भाजपा कड़ी चुनौती दे सकती है।पंजाब के सियासी माहौल को देखते हुए भाजपा, बागी अकाली नेताओं के साथ गठबंधन बनाने पर विचार कर सकती है। ये तमाम दिग्गज नेता वो हैं, जिन्होंने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है और वे शिअद के पुनर्गठन की मांग अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार करने पर जोर दे रहे हैं।