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नशे का दंश: चिट्टे की चपेट में ढोलेवाला, 25 दिन में तीन मौत से पसरा मातम...परिवारों ने प्रशासन पर लगाए आरोप
संवाद न्यूज एजेंसी, मोगा (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 24 Dec 2025 11:07 AM IST
सार
गांव ढोलेवाला के ग्रामीणों का आरोप है कि नशा तस्कर पूरी तरह बेखौफ होकर अपना कारोबार चला रहे हैं, जबकि पुलिस की ओर से कोई ठोस और स्थायी कार्रवाई नहीं की जा रही। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई होती, तो आज इतने घरों के चिराग न बुझते।
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गांव में पसरा मातम
- फोटो : संवाद
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विस्तार
पंजाब में सरकार द्वारा चलाई जा रही युद्ध नशों के विरुद्ध मुहिम की जमीनी हकीकत एक बार फिर सामने आ गई है। मोगा की धर्मकोट विधानसभा क्षेत्र के गांव ढोलेवाला में चिट्टे की ओवरडोज से 18 वर्षीय दिलप्रीत सिंह की मौत हो गई। दिलप्रीत दो बहनों का इकलौता भाई था। उसकी मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार जहां नशा खत्म करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं जमीनी स्तर पर गांव-गांव में नशा खुलेआम बिक रहा है और नौजवान लगातार इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं।
मृतक दिलप्रीत सिंह के पिता अमर सिंह ने बताया कि बाथरूम में दिलप्रीत के शव के पास एक सिरिंज और चम्मच बरामद हुई थी। परिजनों का दावा है कि दिलप्रीत की मौत नशे का इंजेक्शन लगाने से हुई है। उनका बेटा चिट्टे का टीका लगाता था। कुछ दूरी में दूसरे गांव में सरेआम चिट्टा मिलता है।
मृतक गुरजीत सिंह की मां ने बताया कि उनका बेटा भी चिट्टे का नशा करता था और करीब 10 दिन पहले उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उनका घर पूरी तरह उजड़ गया। मृतक रणजीत सिंह के मामा ने बताया कि करीब 20 दिन पहले उनके भांजे की मौत चिट्टे का इंजेक्शन लगाने से हुई। रणजीत बचपन से ही उनके साथ रहता था। आज उसके घर पर ताला लटका है और परिवार को संभालने वाला कोई नहीं बचा।
गांव के निवासी सुरजीत सिंह ने कहा कि गांव में लगातार चिट्टे के नशे से मौतें हो रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके अपने दो बेटे भी नशे की चपेट में हैं और उन्हें हर पल डर लगा रहता है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।
ग्रामीण जसमेल सिंह (पूर्व फौजी) ने कहा कि गांव में अब बरातें कम और श्मशान की ओर जाती अर्थियां ज्यादा नजर आती हैं। वंत कौर ने बताया कि उनका बेटा भी चिट्टे का नशा करता है, जिस कारण बहू घर छोड़कर चली गई।
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ग्रामीणों का कहना है कि सरकार जहां नशा खत्म करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं जमीनी स्तर पर गांव-गांव में नशा खुलेआम बिक रहा है और नौजवान लगातार इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं।
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एक महीने में तीन मौतें
गांववासियों के अनुसार पिछले 20 से 25 दिनों के भीतर ढोलेवाला गांव में चिट्टे की ओवरडोज से तीन युवकों—गुरजीत सिंह, रणजीत सिंह और अब दिलप्रीत सिंह की मौत हो चुकी है। एक ही गांव से लगातार उठ रही अर्थियां सरकार की नशा विरोधी नीति और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता बता रही हैं।नशा तस्कर बेखौफ, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
मृतक दिलप्रीत सिंह के पिता अमर सिंह ने बताया कि बाथरूम में दिलप्रीत के शव के पास एक सिरिंज और चम्मच बरामद हुई थी। परिजनों का दावा है कि दिलप्रीत की मौत नशे का इंजेक्शन लगाने से हुई है। उनका बेटा चिट्टे का टीका लगाता था। कुछ दूरी में दूसरे गांव में सरेआम चिट्टा मिलता है।
मृतक गुरजीत सिंह की मां ने बताया कि उनका बेटा भी चिट्टे का नशा करता था और करीब 10 दिन पहले उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उनका घर पूरी तरह उजड़ गया। मृतक रणजीत सिंह के मामा ने बताया कि करीब 20 दिन पहले उनके भांजे की मौत चिट्टे का इंजेक्शन लगाने से हुई। रणजीत बचपन से ही उनके साथ रहता था। आज उसके घर पर ताला लटका है और परिवार को संभालने वाला कोई नहीं बचा।
गांव के निवासी सुरजीत सिंह ने कहा कि गांव में लगातार चिट्टे के नशे से मौतें हो रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके अपने दो बेटे भी नशे की चपेट में हैं और उन्हें हर पल डर लगा रहता है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।
ग्रामीण जसमेल सिंह (पूर्व फौजी) ने कहा कि गांव में अब बरातें कम और श्मशान की ओर जाती अर्थियां ज्यादा नजर आती हैं। वंत कौर ने बताया कि उनका बेटा भी चिट्टे का नशा करता है, जिस कारण बहू घर छोड़कर चली गई।