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शिअद नेता मजीठिया को झटका: हाईकोर्ट से जमानत याचिका रद्द, आय से अधिक संपत्ति का मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Thu, 04 Dec 2025 02:30 PM IST
सार
पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया नाभा जेल में अन्य विचाराधीन कैदियों और खूंखार अपराधियों के साथ एक ही बैरक में रह रहे हैं, क्योंकि अदालत ने अलग सेल की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
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शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
पंजाब के पूर्व मंत्री व शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को बड़ा झटका लगा है। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने मजीठिया की जमानत याचिका को रद्द कर दिया है। ऐसे में उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। मजीठिया की तरफ से यह जमानत याचिका आय से अधिक संपत्ति मामले में दायर की गई थी। वहीं, अब उन्हें जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।
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बता दें कि चार दिन पहले बिक्रम सिंह मजीठिया के करीबी हरप्रीत सिंह गुलाटी को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि शराब कंपनी आकाश स्प्रीति, यूवी एंटरप्राइज और एडी एंटरप्राइजिज के जरिए गुलाटी और मजीठिया के बीच पैसे के लेन-देन हुआ था। इसके अलावा गुलाटी के जरिये पूर्व मंत्री ने हिमाचल के शिमला और दिल्ली में संपत्तियां बनाई थीं। मजीठिया के खिलाफ दर्ज मामले की जांच के बाद यह खुलासा हुआ है। इसके बाद विजिलेंस ने हरप्रीत सिंह गुलाटी को गिरफ्तार किया है।
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पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया नाभा जेल में अन्य विचाराधीन कैदियों और खूंखार अपराधियों के साथ एक ही बैरक में रह रहे हैं, क्योंकि अदालत ने अलग सेल की उनकी याचिका खारिज कर दी है। इस अनुरोध को खारिज कर अदालत ने पंजाब सरकार और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उच्च न्यायालय के निर्देशों और जेल नियमावली के अनुसार शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता के लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें। हालांकि मजीठिया को आंशिक राहत मिली क्योंकि अदालत ने उन्हें सप्ताह में दो बार एक अलग कमरे में परिवार के सदस्यों और वकीलों से मिलने की अनुमति दी हुई है। उनके वकील अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि यह अनुमति परिवार द्वारा मंजूरशुदा 10 व्यक्तियों तक विस्तारित है, जिसमें उनकी कानूनी टीम भी शामिल है। ये मुलाकातें आमने-सामने होंगी। कलेर ने अपने मुवक्किल की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई थी। आपराधिक गिरोहों और राष्ट्र-विरोधी एजेंसियों से खतरे का हवाला दिया था। अदालत ने इन आशंकाओं पर ध्यान दिया और राज्य सरकार से जेल परिसर के अंदर सुरक्षा उपाय बढ़ाने को कहा था।