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हाईकोर्ट का फैसला: दूसरी सेवा पेंशन के लिए 12 माह से कम की कमी को किया जा सकता है माफ, केंद्र की अपील खारिज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 17 Sep 2025 03:29 PM IST
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सार
गुरदासपुर निवासी प्रतिवादी को भारतीय सेना में 21 सितंबर 1961 को भर्ती किया गया था। 12 दिसंबर 1984 को 22 साल 3 महीने 9 दिन की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया। इसके बाद वह 14 जून 1986 को डिफेंस सिक्योरिटी कोर में दोबारा भर्ती हुए और 31 जनवरी 2001 को 14 साल 5 महीने 16 दिन की सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हुए।

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी कर्मचारी की दूसरी सेवा पेंशन के लिए आवश्यक 15 साल की सेवा में 12 माह से कम की कमी रह जाती है, तो उसे माफ किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने बताया कि गुरदासपुर निवासी प्रतिवादी को भारतीय सेना में 21 सितंबर 1961 को भर्ती किया गया था। 12 दिसंबर 1984 को 22 साल 3 महीने 9 दिन की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया। इसके बाद वह 14 जून 1986 को डिफेंस सिक्योरिटी कोर में दोबारा भर्ती हुए और 31 जनवरी 2001 को 14 साल 5 महीने 16 दिन की सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हुए।
इस प्रकार उनकी सेवा 15 साल से केवल 4 महीने 13 दिन कम रही। प्रतिवादी ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार 12 माह तक की कमी को माफ किया जा सकता है और इसी आधार पर उन्होंने दूसरी सेवा पेंशन का दावा किया। भारत सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी और कहा कि दूसरी सेवा पेंशन के लिए कम से कम 15 वर्ष की सेवा पूरी करना अनिवार्य है, इसलिए प्रतिवादी का दावा स्वीकार्य नहीं है।
हाईकोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी ने डिफेंस सिक्योरिटी कोर में 14 साल 5 महीने 16 दिन सेवा दी थी और वह केवल 4 महीने 13 दिन से शॉर्ट थे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी को दूसरी पेंशन का लाभ देने का आदेश बिलकुल सही है और इसमें हमारे दखल की जरूरत नहीं है।

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केंद्र सरकार ने बताया कि गुरदासपुर निवासी प्रतिवादी को भारतीय सेना में 21 सितंबर 1961 को भर्ती किया गया था। 12 दिसंबर 1984 को 22 साल 3 महीने 9 दिन की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया। इसके बाद वह 14 जून 1986 को डिफेंस सिक्योरिटी कोर में दोबारा भर्ती हुए और 31 जनवरी 2001 को 14 साल 5 महीने 16 दिन की सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हुए।
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इस प्रकार उनकी सेवा 15 साल से केवल 4 महीने 13 दिन कम रही। प्रतिवादी ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार 12 माह तक की कमी को माफ किया जा सकता है और इसी आधार पर उन्होंने दूसरी सेवा पेंशन का दावा किया। भारत सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी और कहा कि दूसरी सेवा पेंशन के लिए कम से कम 15 वर्ष की सेवा पूरी करना अनिवार्य है, इसलिए प्रतिवादी का दावा स्वीकार्य नहीं है।
हाईकोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी ने डिफेंस सिक्योरिटी कोर में 14 साल 5 महीने 16 दिन सेवा दी थी और वह केवल 4 महीने 13 दिन से शॉर्ट थे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी को दूसरी पेंशन का लाभ देने का आदेश बिलकुल सही है और इसमें हमारे दखल की जरूरत नहीं है।