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High Court: स्वतंत्रता सेनानी शिंगारा सिंह के परपोते को नहीं मिलेगा आरक्षण... पंजाब के सिपाही की याचिका खारिज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: अंकेश ठाकुर Updated Thu, 27 Nov 2025 01:24 PM IST
सार

याचिकाकर्ता को नवंबर 2016 में फ्रीडम फाइटर कोटे के अंतर्गत कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया था। बाद में जांच में पता चला कि उसने जो प्रमाण पत्र जमा किया वह उसके पिता के नाम था, जो कि स्वतंत्रता सेनानी शिंगारा सिंह के पोते थे।

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Punjab Haryana HC dismissed Freedom fighter Shingara Singh great grandson aunt who had reservation benefits
high court - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक कांस्टेबल की याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि स्वतंत्रता सेनानी कोटे का लाभ परपोते को नहीं मिल सकता। अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके से नियुक्ति पाता है, तो लंबे समय तक नौकरी करने को आधार बनाकर उसकी नियुक्ति को वैध नहीं ठहराया जा सकता।

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जस्टिस जगमोहन बांसल ने कहा कि सहानुभूति या करुणा कानून का स्थान नहीं ले सकती। यदि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर सेवा में रहने की अनुमति दी जाती है कि उसने नौ वर्ष पूरे कर लिए, तो यह उसकी गैर-कानूनी नियुक्ति को वैध कर देगी।
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यह है मामला
याचिकाकर्ता को नवंबर 2016 में फ्रीडम फाइटर कोटे के अंतर्गत कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया था। बाद में जांच में पता चला कि उसने जो प्रमाण पत्र जमा किया वह उसके पिता के नाम था, जो कि स्वतंत्रता सेनानी शिंगारा सिंह के पोते थे। यानी याचिकाकर्ता स्वतंत्रता सेनानी के परपोते थे, जो आरक्षण श्रेणी के दायरे में नहीं आते। डीएसपी पठानकोट द्वारा की गई जांच में इस तथ्य की पुष्टि हुई। इसके बाद डीजीपी पंजाब ने सेवा समाप्ति के लिए शो-कॉज नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि आरक्षण लाभ केवल स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे, बेटी, पोते या पोती को दिया जा सकता है। उम्मीदवार के नाम से जिला उपायुक्त द्वारा जारी प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है। यहां प्रमाण पत्र केवल पिता की स्थिति को प्रमाणित करता था, न कि याचिकाकर्ता की पात्रता को। कोर्ट ने यह भी कहा कि यद्यपि कड़े अर्थों में धोखाधड़ी नहीं हुई लेकिन गलत प्रस्तुतिकरण हुआ है और इसका लाभ नहीं दिया जा सकता।

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