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Punjab: तरनतारन में सात नवंबर को जेल भरो आंदोलन करेंगे शिक्षक, आठ माह से नहीं मिला वेतन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जालंधर
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 05 Nov 2025 03:58 PM IST
सार
यूनियन ने कहा कि अभी मौका है, सरकार संभल जाए, अपना नासमझी भरा फरमान वापस ले और राज्य के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के सभी पदों पर कार्यरत शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का आठ महीने से रुका हुआ वेतन अनुदान तुरंत जारी करे और अपनी गलती की भरपाई करे।
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मीटिंग करते सहायता प्राप्त स्कूल यूनियन
- फोटो : संवाद
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विस्तार
पंजाब सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का आठ महीने से वेतन रोके जाने के विरोध में हजारों कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारी सात नवंबर को तरनतारन में गिरफ्तारियां देंगे। यह जानकारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरमीत सिंह मदनीपुर, महासचिव शरणजीत सिंह कादीमाजरा, पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरचरण सिंह चहल और स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष चावला ने दी।
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इन नेताओं ने आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से 10 गंभीर प्रश्न पूछे और कहा कि इन दोनों नेताओं को जनता को बताना चाहिए कि सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का आठ महीने से वेतन क्यों नहीं दिया गया है। उन्होंने सहायता प्राप्त स्कूल कर्मचारियों का दोष पूछा।
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1) क्या यह दोष है कि इन सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक आठ महीने से वेतन न मिलने के बावजूद पूरी लगन से पढ़ाते रहे हैं?
2) क्या यह दोष है कि ये शिक्षक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को लगातार अच्छे संस्कार देते रहे हैं?
3) क्या यह दोष है कि ये शिक्षक छात्रों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हैं? ये वही स्कूल हैं जिन्होंने शहीद भगत सिंह, सराभा और उधम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं।
4) दोष यह है कि ये शिक्षक देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करते रहे हैं? जिन्होंने न केवल शासक, उच्च पदों पर आसीन प्रशासक, बल्कि खिलाड़ी, न्यायाधीश और समाज निर्माता भी दिए हैं।
5) क्या दोष यह है कि ये शिक्षक पढ़ाकर देश के ईमानदार राष्ट्रीय स्तर के नेता तैयार करते रहे हैं? भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री जगन्नाथ कौशल और वर्तमान पंजाब सरकार में वित्त मंत्री चीमा जी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह जी भी इन्हीं सहायता प्राप्त स्कूलों की देन हैं।
6) क्या दोष यह है कि ये शिक्षक वेतन न मिलने के बावजूद अपने स्कूलों में ढाई लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिससे शिक्षा प्रदान करने की सरकार की ज़िम्मेदारी का बोझ हल्का हो रहा है?
7) क्या दोष यह है कि इनमें से ज़्यादातर स्कूल देश की आज़ादी से पहले से चल रहे हैं और आज भी अपने देश के इतिहास और संस्कृति को संजोए हुए हैं?
8) क्या दोष इन शिक्षकों का है, जो बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान के सच्चे संरक्षक हैं और पंजाब की अस्सी हज़ार से ज़्यादा लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सहारा देने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं?
9) क्या यह इन विद्यालयों के प्रबंधन का दोष है कि वे न केवल 1967 में सरकार द्वारा स्वीकृत 9468 पदों में से शेष 1700 पदों पर कार्यरत शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों से काम चला रहे हैं, बल्कि चंदा मांगकर या चंदा इकट्ठा करके लगभग 10,000 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं?
10) क्या यह अनुदान प्राप्त विद्यालयों का प्रबंधन करने वाले प्रबंधन का दोष है कि वे बिना किसी सरकारी सहायता के अपने निजी सहयोग से इन विद्यालयों के भवनों का निर्माण और रखरखाव कर रहे हैं, कंप्यूटर और विज्ञान प्रयोगशालाएं चला रहे हैं, बिजली के बिल और कई अन्य खर्चे स्वयं वहन कर रहे हैं?
हमारा सवाल सिर्फ़ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान या वित्त मंत्री हरपाल चीमा या शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस से ही नहीं, बल्कि पंजाब में तथाकथित शिक्षा क्रांति का दावा करने वाली राज्य सरकार के संरक्षक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से भी है कि अगर उपरोक्त किसी भी बात में हमारी कोई गलती नहीं है, तो फिर पंजाब के शिक्षा क्षेत्र के इतिहास और वर्तमान में अपना महान योगदान दे रहे हज़ारों शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का वेतन आठ महीने से क्यों रोका गया है। अभी मौका है, सरकार संभल जाए, अपना नासमझी भरा फरमान वापस ले और राज्य के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के सभी पदों पर कार्यरत शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का आठ महीने से रुका हुआ वेतन अनुदान तुरंत जारी करे और अपनी गलती की भरपाई करे। जेल भरो आंदोलन के परिणामों की पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और शिक्षा एवं वित्त विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों की होगी।