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Punjab: जिसका खेत, उसकी रेत नीति के नाम पर किसानों से धोखा; रेत माफिया के जाल में फंसे

संवाद न्यूज एजेंसी, जगरांव (पंजाब) Published by: अंकेश ठाकुर Updated Mon, 22 Dec 2025 04:00 PM IST
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सार

पंजाब सरकार की नीति जिसका खेत, उसकी रेत के नाम पर किसान लूट के शिकार भी हो रहे हैं। नीति के तहत अपनी जमीन को खेती योग्य बनाने के प्रयास में रेत निकाल रहे कई किसान कानूनी शिकंजे में फंस गए हैं।

Farmers in Jagraon are trapped in clutches of sand mafia under whose field whose sand policy
रोष जताते किसान। - फोटो : संवाद
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पंजाब सरकार की नीति जिसका खेत, उसकी रेत के नाम पर किसान लूट के शिकार भी हो रहे हैं। नीति के तहत अपनी जमीन को खेती योग्य बनाने के प्रयास में रेत निकाल रहे कई किसान कानूनी शिकंजे में फंस गए हैं। इस मामले को लेकर पीड़ित किसानों ने न्याय की मांग करते हुए एसएसपी लुधियाना डॉ. अंकुर गुप्ता को मांग पत्र देने का प्रयास किया, लेकिन एसएसपी के कार्यालय में न होने के कारण किसानों ने डीएसपी को मांग पत्र सौंपा।

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पीड़ित किसानों ने बताया कि बाढ़ के कारण कई गांवों में किसानों की जमीन रेत से भर गई थी, जिससे खेती संभव नहीं रही। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने जिसका खेत, उसकी रेत नीति लागू करते हुए किसानों को अपनी जमीन से रेत निकालकर बेचने की अनुमति दी थी। इसके बाद किसानों ने अपने खेतों को खेती योग्य बनाने के लिए रेत निकालनी शुरू की। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण गरीब किसान रेत माफिया के चंगुल में फंस गए। सिधवां बेट थाना क्षेत्र के अंतर्गत गांव मद्देपुर में पंजाब के विभिन्न जिलों से आए रेत माफिया के एक गिरोह ने खुद को सूखा प्रभावित किसानों की संघर्ष समिति का नेता बताते हुए स्थानीय किसानों से ट्रैक्टर, ट्रॉली और मशीनरी किराए पर लेकर रेत खनन शुरू कर दिया। 
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किसानों का आरोप है कि न तो खनन विभाग और न ही सिधवां बेट पुलिस ने समय रहते स्थानीय किसानों को चेतावनी दी और न ही रेत माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई की। इसके विपरीत, अचानक पुलिस और खनन विभाग ने किसानों के औजार व मशीनरी जब्त कर ली और गरीब किसानों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें थाने ले जाया गया, जबकि असली रेत माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इस मामले को 10 दिसंबर 2025 को जगरांव की एसडीएम के संज्ञान में लाया गया। मौके पर डीएसपी और सिधवां बेट के एसएचओ भी उपस्थित थे। किसानों ने मांग की कि रेत माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और धोखाधड़ी का शिकार हुए किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएं। उसी दिन पुलिस विभाग को भी मांगपत्र सौंपा गया, जिस पर डीएसपी ने न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। बाद में संपर्क करने पर डीएसपी ने चुनाव के बाद समाधान का भरोसा दिया। चुनाव के बाद जब किसान एसएचओ सिधवां बेट से मिले, तो उन्होंने मामले में कुछ भी करने में असमर्थता जताई। इससे निराश होकर अब किसानों ने रोष मार्च निकालते हुए पुलिस प्रशासन से असली रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई और प्रभावित किसानों को राहत देने की मांग की है।

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