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Ludhiana News: किसान, मजदूर और बिजली कर्मचारी एकजुट होकर करेंगे निजीकरण के खिलाफ संघर्ष

Chandigarh Bureau चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Tue, 16 Dec 2025 07:31 PM IST
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Farmers, laborers, and electricity workers will unite to fight against privatization.
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-जनवरी और फरवरी 2026 में राष्ट्रीय स्तर पर चलाएंगे सम्मेलनों और रैलियों का संयुक्त अभियान
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अमर उजाला ब्यूरोपटियाला। बिजली क्षेत्र के निजीकरण और आगामी बिजली संशोधन बिल-2025 के खिलाफ किसान, मजदूर और बिजली कर्मचारी मिलकर संघर्ष करने का निर्णय लिया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि यह महत्वपूर्ण फैसला एक बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह, मोहन शर्मा और विद्या सागर गिरी ने की। इस बैठक में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।

बैठक के दौरान, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स सहित अन्य संगठनों ने बिजली के निजीकरण, प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2025 पर गंभीर विचार-विमर्श किया। नेताओं ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दो डिस्कॉम के निजीकरण के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।
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संघर्ष की रणनीति बनाई
बैठक में यह तय किया गया कि बिजली कर्मी और इंजीनियर देशभर में एकजुट होकर इन मुद्दों के खिलाफ लामबंद होंगे। इस संघर्ष के तहत, लखनऊ मार्च और सत्याग्रह आंदोलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें यूपी के बिजली कर्मी निजीकरण के खिलाफ सामूहिक जेल भरो आंदोलन में भाग लेंगे। इसके अलावा, देशभर में जनवरी और फरवरी 2026 में बड़े सम्मेलनों और रैलियों के साथ एक संयुक्त अभियान चलाया जाएगा।
आंदोलन की तिथियां और घोषणा
18 मार्च 2026 को, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के बैनर तले बिजली कर्मचारी और इंजीनियर विभिन्न संगठनों के समर्थन से दिल्ली तक मार्च करेंगे। इस मार्च का उद्देश्य बिजली के निजीकरण, प्रीपेड मीटरिंग और संशोधन बिल के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना है।
मुख्य मांगें
-बिजली के निजीकरण पर रोक।
-प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग का विरोध।
-पारंपरिक बिजली दरों में कटौती।
-कृषि और उपभोक्ताओं के लिए बिजली का अधिकार सुनिश्चित करना।
-प्रस्तावित कानूनों को वापस लेना
देश भर में एकजुटता की अपील
नेताओं ने यह भी कहा कि यदि परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन संसद में पेश किए गए तो देशभर में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। किसान, मजदूर और बिजली कर्मचारी इस आंदोलन के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि देश की बिजली व्यवस्था में आम लोगों के हितों की रक्षा हो और निजीकरण की प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए।
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