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Ludhiana News: एसकेएम 18 दिसंबर को करेगा रोष मार्च, राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे जाएंगे
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-तमिलनाडु के किसान नेता पीआर पांडियन को दी गई सजा रद्द करने की उठेगी मांग
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संवाद न्यूज एजेंसी
लुधियाना। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 18 दिसंबर को पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर रोष मार्च का आह्वान किया है। इस मार्च के बाद एसकेएम के सदस्य उपायुक्तों के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। यह जानकारी एसकेएम के कन्वीनर और भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बीकेयू एकता सिद्धूपुर की प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद दी।
डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें लगातार काॅरपोरेट हितों को बढ़ावा देने वाली नीतियां बना रही हैं जो किसानों को कमजोर करने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अगर आज भी खेती-किसानी किसी हद तक बची हुई है तो वह केवल किसान संगठनों के संघर्षों के दबाव के कारण है।
डल्लेवाल ने तमिलनाडु के किसान नेता पीआर पांडियन को फास्ट ट्रैक अदालत की ओर से दी गई 13 साल की सजा का विरोध करते हुए कहा कि यह सजा पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। पांडियन ने 2015 में तमिलनाडु के संरक्षित कृषि क्षेत्र में ओएनजी कंपनी की ओर से फैक्टरी लगाए जाने का शांतिपूर्ण विरोध किया था, जिसके बाद कंपनी ने आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए थे। अब उसी मामले में पांडियन को सजा सुनाई गई है।
फैक्टरियों के खिलाफ संघर्ष
प्रदेश महासचिव काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि पंजाब के जीरा क्षेत्र में इथेनॉल फैक्टरी के खिलाफ संघर्ष के दबाव में फैक्टरी को बंद करना पड़ा था, क्योंकि वह भूजल और पर्यावरण को प्रदूषित कर रही थी। उन्होंने बताया कि राजस्थान के टिब्बी क्षेत्र में भी इथेनॉल फैक्टरी के खिलाफ विरोध हो रहा है, लेकिन वहां की सरकार कारपोरेट हितों के लिए दमनकारी कदम उठा रही है।
पवित्र ग्रंथों की बेअदबी पर कानून बनाने की मांग
काका सिंह ने आगे कहा कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग को लेकर भाई गुरजीत सिंह फौजी पिछले करीब 14 महीनों से 400 फुट ऊंचे टावर पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में विधानसभा से पंजाब में पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक-2025 को मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब तक उसे कानून का रूप नहीं दिया गया।
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संवाद न्यूज एजेंसी
लुधियाना। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 18 दिसंबर को पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर रोष मार्च का आह्वान किया है। इस मार्च के बाद एसकेएम के सदस्य उपायुक्तों के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। यह जानकारी एसकेएम के कन्वीनर और भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बीकेयू एकता सिद्धूपुर की प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद दी।
डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें लगातार काॅरपोरेट हितों को बढ़ावा देने वाली नीतियां बना रही हैं जो किसानों को कमजोर करने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अगर आज भी खेती-किसानी किसी हद तक बची हुई है तो वह केवल किसान संगठनों के संघर्षों के दबाव के कारण है।
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डल्लेवाल ने तमिलनाडु के किसान नेता पीआर पांडियन को फास्ट ट्रैक अदालत की ओर से दी गई 13 साल की सजा का विरोध करते हुए कहा कि यह सजा पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। पांडियन ने 2015 में तमिलनाडु के संरक्षित कृषि क्षेत्र में ओएनजी कंपनी की ओर से फैक्टरी लगाए जाने का शांतिपूर्ण विरोध किया था, जिसके बाद कंपनी ने आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए थे। अब उसी मामले में पांडियन को सजा सुनाई गई है।
फैक्टरियों के खिलाफ संघर्ष
प्रदेश महासचिव काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि पंजाब के जीरा क्षेत्र में इथेनॉल फैक्टरी के खिलाफ संघर्ष के दबाव में फैक्टरी को बंद करना पड़ा था, क्योंकि वह भूजल और पर्यावरण को प्रदूषित कर रही थी। उन्होंने बताया कि राजस्थान के टिब्बी क्षेत्र में भी इथेनॉल फैक्टरी के खिलाफ विरोध हो रहा है, लेकिन वहां की सरकार कारपोरेट हितों के लिए दमनकारी कदम उठा रही है।
पवित्र ग्रंथों की बेअदबी पर कानून बनाने की मांग
काका सिंह ने आगे कहा कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग को लेकर भाई गुरजीत सिंह फौजी पिछले करीब 14 महीनों से 400 फुट ऊंचे टावर पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में विधानसभा से पंजाब में पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक-2025 को मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब तक उसे कानून का रूप नहीं दिया गया।