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Ludhiana News: भम्मीपुरा खुर्द में बायोगैस फैक्टरी के खिलाफ संघर्ष तेज
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संवाद न्यूज एजेंसी
जगराओं। अप्रैल 2024 से अखाड़ा गांव के पास बायोगैस फैक्टरी के खिलाफ चल रहे संघर्ष का नया अध्याय भम्मीपुरा खुर्द में शुरू हो गया है। भम्मीपुरा कलां गांव के निवासी फैक्टरी मालिक अब इस कारखाने को जंगल क्षेत्र में स्थापित करने की तैयारी में हैं। राजस्व विभाग द्वारा भूमि का चिह्नांकन किए जाने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। सरपंच जरनैल सिंह और पूरी पंचायत ने आपात बैठक बुलाई, जिसमें ग्रामीणों ने फैक्ट्री के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने का संकल्प लिया। बैठक में भारतीय किसान यूनियन (एकता डाकौंदा) के जिला अध्यक्ष जगतार सिंह देहड़का, ब्लॉक अध्यक्ष तरसेम सिंह, ब्लॉक सचिव रचपाल सिंह और समिति सदस्य बहादुर सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे।
जगतार सिंह देहड़का ने कहा कि अखाड़ा गांव और आसपास के इलाके पिछले दो वर्षों से इस तरह की फैक्ट्रियों के विरोध में संघर्षरत हैं। उन्होंने कहा कि भुंदड़ी गांव में प्रस्तावित फैक्ट्री को स्थायी रूप से बंद करवा दिया गया है और प्रशासन को यह अच्छी तरह पता है कि अखाड़ा और आसपास के गांव इस फैक्ट्री को किसी भी हाल में स्थापित नहीं होने देंगे। उन्होंने पंजाब सरकार से बायोगैस फैक्ट्रियों के लाभ और नुकसान का स्वतंत्र तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन कराने की मांग की।
सरकार जनता के धैर्य की परीक्षा ले रही
ब्लॉक अध्यक्ष तरसेम सिंह ने चेतावनी दी कि भम्मीपुरा खुर्द गांव भी अखाड़ा गांव की तरह पूरे उत्साह और दृढ़ता से आंदोलन में भाग लेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के धैर्य की परीक्षा ले रही है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस अवसर पर हरप्रीत सिंह, सुखदेव सिंह, धर्म सिंह, पंचायत सदस्य, चमकौर सिंह (अध्यक्ष), सतनाम सिंह, मंजिंदर सिंह, इकबाल सिंह, गुरमीत सिंह मीता, शमशेर सिंह, संतोख सिंह और रणजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। अखाड़ा गांव के संघर्ष और भम्मीपुरा खुर्द में नए आंदोलन के साथ, बायोगैस फैक्टरी के खिलाफ ग्रामीण संघर्ष एक नई दिशा में पहुंच गया है।
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जगराओं। अप्रैल 2024 से अखाड़ा गांव के पास बायोगैस फैक्टरी के खिलाफ चल रहे संघर्ष का नया अध्याय भम्मीपुरा खुर्द में शुरू हो गया है। भम्मीपुरा कलां गांव के निवासी फैक्टरी मालिक अब इस कारखाने को जंगल क्षेत्र में स्थापित करने की तैयारी में हैं। राजस्व विभाग द्वारा भूमि का चिह्नांकन किए जाने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। सरपंच जरनैल सिंह और पूरी पंचायत ने आपात बैठक बुलाई, जिसमें ग्रामीणों ने फैक्ट्री के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने का संकल्प लिया। बैठक में भारतीय किसान यूनियन (एकता डाकौंदा) के जिला अध्यक्ष जगतार सिंह देहड़का, ब्लॉक अध्यक्ष तरसेम सिंह, ब्लॉक सचिव रचपाल सिंह और समिति सदस्य बहादुर सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे।
जगतार सिंह देहड़का ने कहा कि अखाड़ा गांव और आसपास के इलाके पिछले दो वर्षों से इस तरह की फैक्ट्रियों के विरोध में संघर्षरत हैं। उन्होंने कहा कि भुंदड़ी गांव में प्रस्तावित फैक्ट्री को स्थायी रूप से बंद करवा दिया गया है और प्रशासन को यह अच्छी तरह पता है कि अखाड़ा और आसपास के गांव इस फैक्ट्री को किसी भी हाल में स्थापित नहीं होने देंगे। उन्होंने पंजाब सरकार से बायोगैस फैक्ट्रियों के लाभ और नुकसान का स्वतंत्र तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन कराने की मांग की।
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सरकार जनता के धैर्य की परीक्षा ले रही
ब्लॉक अध्यक्ष तरसेम सिंह ने चेतावनी दी कि भम्मीपुरा खुर्द गांव भी अखाड़ा गांव की तरह पूरे उत्साह और दृढ़ता से आंदोलन में भाग लेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के धैर्य की परीक्षा ले रही है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस अवसर पर हरप्रीत सिंह, सुखदेव सिंह, धर्म सिंह, पंचायत सदस्य, चमकौर सिंह (अध्यक्ष), सतनाम सिंह, मंजिंदर सिंह, इकबाल सिंह, गुरमीत सिंह मीता, शमशेर सिंह, संतोख सिंह और रणजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। अखाड़ा गांव के संघर्ष और भम्मीपुरा खुर्द में नए आंदोलन के साथ, बायोगैस फैक्टरी के खिलाफ ग्रामीण संघर्ष एक नई दिशा में पहुंच गया है।