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Banswara News: मानगढ़ धाम आदिवासी महारैली में उठी भील प्रदेश की मांग; अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां, इंटरनेट बंद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Thu, 18 Jul 2024 04:35 PM IST
सार
आदिवासी महारैली में मंच से आदिवासी नेताओं ने आह्वान किया कि आदिवासी अपना धर्म हिंदू न मानकर अलग धर्म मानें। व्रत उपवास मंगलसूत्र सिंदूर छोड़ें, शिक्षा पर फोकस करें।
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मानगढ़धाम में आदिवासी महारैली।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम में आयोजित आदिवासी महारैली में चार राज्यों के आदिवासी जुटे। इस महारैली में वक्ताओं ने चार राज्यों के 49 जिले मिलाकर नया भील प्रदेश बनाने की मांग की है। सभा को लेकर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों का अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर यहां इंटरनेट बंद किया गया है।
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गौरतलब है कि इस आदिवासी महारैली को देखते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आदिवासियों को लेकर दिए अपने बयान पर आज माफी भी मांगी।
आदिवासी परिवार संस्था की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने मंच से कहा कि आदिवासी महिलाएं पंडितों के बताए अनुसार न चलें। आदिवासी परिवार में सिंदूर नहीं लगाते, मंगलसूत्र नहीं पहनते। आदिवासी समाज की महिलाएं-बालिकाएं शिक्षा पर फोकस करें। अब से सब व्रत-उपवास बंद कर दें।
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सम्मेलन में एक के बाद कई वक्ताओं ने कहा कि हमारा धर्म हिंदू नहीं है। आदिवासियों का अलग धर्म है। साथ ही भील प्रदेश की मांग दोहराई। हालांकि राज्य सरकार ने मांग को पहले ही खारिज कर दिया है।
सरकार ने कहा जाति के अधार पर स्टेट नहीं बन सकता
भील प्रदेश की मांग को लेकर सरकार के टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जाति के अधार पर स्टेट नहीं बन सकता। ऐसा हुआ तो अन्य लोग भी मांग करेंगे। हम केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे। खराड़ी ने यह भी कहा कि जिसने धर्म बदला उनको आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। खराड़ी ने डूंगरपुर दौरे के दौरान यह बयान दिया। वहीं, बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। बीएपी पुरजोर तरीके से यह मांग उठा रही है। उन्होंने कहा कि महारैली के बाद एक डेलीगेशन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से प्रस्ताव के साथ मुलाकात करेगा।