Banswara News: लोहारिया हत्याकांड का आया फैसला; कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा, दो बरी एक को परिवीक्षा लाभ
Rajasthan News : अपर सेशन न्यायाधीश इंदिरा बनेरा ने मुख्य आरोपी को उम्रकैद और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। दो सहआरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त घोषित किया। जानिए पूरा मामला।
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बांसवाड़ा में पांच साल पहले लोहारिया क्षेत्र में चाकू से हमला कर युवक की हत्या के एक मामले में अपर सेशन न्यायाधीश इंदिरा बनेरा ने मुख्य आरोपी को उम्रकैद और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। दो सह-आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त घोषित किया, वहीं तीसरे को मारपीट का दोषी करार देते हुए परिवीक्षा का लाभ दिया।
प्रकरण में कोटड़ा बड़ा निवासी भावेश पुत्र शंकर कीर, गोविंद पुत्र भरत, दीपक पुत्र गोविंद और हरीश पुत्र मोगजी पर आरोप था कि इन्होंने 28 मई, 2020 को आसपुर क्षेत्र के रामा गाँव के शांतिलाल पुत्र नाथूलाल कीर के साथ मारपीट की। भावेश के चाकूवार से लहूलुहान शांतिलाल को पालोदा के सरकारी अस्पताल और फिर जिला अस्पताल, बांसवाड़ा ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वारदात को लेकर मृतक के साथी, रामा निवासी ईश्वर पुत्र लीलाराम कीर ने अगले दिन रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने जाँच कर चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया और अनुसंधान पूर्ण कर इनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट में नौ गवाह और 40 प्रदर्शन पेश किए गए। प्रकरण में सरकार की ओर से पैरवी लोक अभियोजक योगेश सोमपुरा ने की।
यह था घटनाक्रम
मामले में परिवादी ने बताया कि वह शांतिलाल के साथ बाइक पर अपनी बुआ की लड़की कला पत्नी कचरू कीर के घर जा रहा था। कोटड़ा बड़ा गाँव से पहले डूंगरी के पास बाइक लिए भावेश और हरीश मिले। उन्होंने साथ चलने को कहा और सब रवाना हुए। इसी बीच भावेश ने फोन कर गोविंद को बुला लिया। आगे भेरुजी का बड़ा स्थान पर पहले से गोविंद, दीपक और अन्य खड़े मिले। वहाँ पहुँचते ही आरोपियों ने गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी। आवेश में आए भावेश ने चाकू निकालकर वार किए। हमले में शांतिलाल लहूलुहान होकर गिर गया तो आरोपी भाग निकले। पुलिस जाँच में यह तथ्य भी सामने आया कि भावेश का काका कोटड़ा बड़ा निवासी राजेंद्र की बहन को भगा ले गया था। इस हरकत में भावेश का भी हाथ होने की आशंका से रंजिश उत्पन्न हुई। इस मामले में शांतिलाल के दखल देने से भावेश चिढ़ गया और मौका पाकर वारदात को अंजाम दिया।
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हत्या में सह-आरोपी शामिल होने के प्रमाण नहीं मिले
सुनवाई के बाद कोर्ट ने मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर पाया कि हत्या में सह-आरोपियों की संलिप्तता के ठोस प्रमाण नहीं हैं। कोर्ट ने भावेश को ही दोषी करार दिया और भादसं की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना तथा धारा 4/25 आर्म्स एक्ट के तहत एक वर्ष कैद और तीन हजार रुपए जुर्माना सुनाया। कोर्ट ने आरोपी हरीश को मारपीट का दोषी माना, तथापि लंबी अन्वेषणा और अभिरक्षा अवधि को देखते हुए पाँच हजार रुपए अभियोजन व्यय राशि आरोपित कर परिवीक्षा अधिनियम के तहत भर्त्सना करते हुए छोड़ दिया। इसके अलावा अन्य दो आरोपियों गोविंद और दीपक को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया गया।
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