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Banswara News: नौकरी का झांसा देकर वसूले लाखों, नियुक्ति पत्र देकर रोका मेहनताना, अब संस्था गायब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो Updated Sun, 12 Oct 2025 09:07 PM IST
सार

पहले नौकरी का झांसा देकर रुपये ऐंठे फिर नियुक्ति देकर मेहनताना रोका, अंत में सबकुछ बटोरकर रफू चक्कर हुई एनजीओ। पीड़ितों की शिकायत पर दो महिलाओं पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।

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दानपुर थाना
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विस्तार
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जिले में एक स्वयंसेवी संस्था ने बेरोजगार युवाओं को झांसा देकर नियुक्ति के नाम पर हजारों रुपए वसूल लिए। स्वामी विवेकानंद वेलफेयर एंड एजुकेशन संस्थान के नाम से चल रही इस संस्था ने विभिन्न गांवों में शिक्षक सहायक और एरिया मैनेजर के पद पर नियुक्तियां कीं, लेकिन अब संस्था का पूरा दफ्तर बंद हो चुका है। युवाओं को पिछले चार से पांच महीने का मेहनताना तक नहीं मिला है। मामले की शिकायत पर दानपुर थाना पुलिस ने दो महिलाओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

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पुलिस के अनुसार मकनपुरा गांव निवासी पवन रावत ने रिपोर्ट दी कि संस्था से जुड़ी केसर देवी और लता चौहान ने बेरोजगार युवाओं को बच्चों को घर-घर पढ़ाने के नाम पर नियुक्ति का झांसा दिया। शिक्षक सहायक के पद पर 4 हजार रुपये और एरिया मैनेजर के लिए 13 हजार रुपये मासिक मानदेय तय किया गया। दानपुर क्षेत्र के करीब 200 बेरोजगार युवा इस लालच में आ गए। उनसे शिक्षक सहायक पद के लिए 7 से 10 हजार रुपये और एरिया मैनेजर पद के लिए 25 हजार रुपये तक वसूले गए। युवाओं को नियुक्ति पत्र भी दिए गए, लेकिन बाद में संस्था ने काम बंद कर दिया।
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आदिवासी क्षेत्र में बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए युवाओं को झूठे रोजगार का लालच दिया गया। कुछ युवाओं ने तो पैसे जुटाने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए। मकनपुरा पंचायत के वाड़ा गांव की प्रियंका निनामा ने शिक्षक सहायक बनने के लिए 7 हजार रुपये चुकाए। पैसे न होने पर उसने चांदी का कड़ा गिरवी रख दिया। प्रियंका ने अपने परिवार और गांव की सात अन्य लड़कियों को भी इस योजना से जोड़ा। सभी से बराबर राशि ली गई, लेकिन किसी को मेहनताने का एक रुपया तक नहीं मिला। इसी तरह खानपुरा गांव की पूजा कुमारी ने एरिया मैनेजर बनने के लिए सोने के झुमके गिरवी रखकर 25 हजार रुपये दिए।

संस्थान ने शिक्षक सहायकों से बच्चों को पढ़ाने के दौरान फोटो खींचकर उसकी जियो-टैगिंग भी करवाई। नियम के अनुसार शिक्षक सहायकों को रोजाना दो घंटे पढ़ाना था, जबकि एरिया मैनेजर को 20 स्थानों पर भोजन के लिए टिफिन सर्विस देनी थी। बाद में पता चला कि जिस संस्थान के नाम से नियुक्ति पत्र दिए गए थे, वह अब अस्तित्व में ही नहीं है। पुलिस ने दोनों महिलाओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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