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Churu News: संवेदनाओं पर भारी सिस्टम की सुस्ती, जुगाड़ की पुलिया ने श्मशान तक किया रास्ता आसान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चुरू Published by: प्रिया वर्मा Updated Thu, 17 Jul 2025 01:51 PM IST
सार

चुरू के सुजानगढ़ में हुई भारी बरसात के बाद क्षेत्र के भोजलाई बास में भयंकर कीचड़ और पानी के बीच बुजुर्ग की अंतिम यात्रा के लिए कोई रास्ता नहीं था। ऐसे में पार्षद प्रतिनिधि ने बिना बजट और टेंडर के एक अस्थाई पुलिया बनवाकर बुजुर्ग की अंतिम राह को आसान कर दिया।

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Churu News: System’s Apathy vs. Human Sensitivity- Makeshift Bridge Eases Final Journey to Cremation Ground
राजस्थान - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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श्रद्धा शर्मिंदा हो जाए, ऐसी स्थिति तब बनती है जब किसी की अंतिम यात्रा भी सम्मान से पूरी न हो पाए। लेकिन चूरू जिले के सुजानगढ़ क्षेत्र के भोजलाई बास में जो हुआ, वो केवल एक शवयात्रा नहीं थी, बल्कि बदहाल व्यवस्थाओं के मुंह पर तमाचा थी और संवेदनशीलता की एक मिसाल भी।

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बारिश के बाद तालाब में तब्दील हो चुके रास्तों के बीच एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा के लिए कोई रास्ता नहीं था। चारों तरफ गंदा पानी, कीचड़ और बदबू। श्मशान तक पहुंचने का कोई साधन नहीं बचा था लेकिन तभी सामने आए पार्षद प्रतिनिधि कमल दाधीच, जिन्होंने संवेदना को जुगाड़ से जोड़ा और संवेदना की पुलिया बना डाली। बिना बजट, बिना टेंडर, बिना औपचारिकता के दाधीच ने स्थानीय संसाधनों से एक अस्थायी पुलिया तैयार करवाई। इसी पुल से होकर अंतिम यात्रा श्मशान तक पहुंची। यह दृश्य लोगों ने पहली बार देखा कि शवयात्रा किसी सेतु पर, वो भी बिना कीचड़ में फंसे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई श्रद्धा किसी सम्मान की डगर पर चल रही हो।
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ये इलाका वर्षों से जलभराव की समस्या से जूझ रहा है। श्मशान घाट, स्कूल और गौशाला तीनों इसी प्रभावित क्षेत्र में आते हैं। हर साल यही हाल लेकिन नगर परिषद केवल बरसात के बाद देखेंगे की रट लगाए रहती है। इस बार जब फिर से वही दुर्दशा सामने आई, तो प्रशासन नदारद था लेकिन कमल दाधीच ने बिना किसी प्रचार के एक जरूरी काम करके दिखाया। श्रावण मास में धार्मिक और पारंपरिक गतिविधियां चरम पर रहती हैं। ऐसे में इस अस्थायी पुल का निर्माण सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि श्रद्धा और सम्मान से जुड़ा एक भावुक कदम बन गया। लोगों ने कहा- कमल दाधीच ने अंतिम संस्कार की गरिमा को बचा लिया।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हर बार जनता ही अपना रास्ता बनाएगी? इस घटना ने सिर्फ एक अस्थायी पुल नहीं, बल्कि स्थायी सवाल खड़ा किया है कि अगर हर बार जनता को खुद जुगाड़ करना है, तो फिर प्रशासन और नगर परिषद किसलिए? हर साल जलभराव, हर बार समस्या और हर बार नेताओं की चुप्पी?

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