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Anta By-Election: दो जिलों की सियासत को साधने वाली सीट है अंता, यहां 70 प्रतिशत वोटर किसान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: सौरभ भट्ट
Updated Fri, 10 Oct 2025 08:35 AM IST
सार
अंता में 11 नवंबर को विधानसभा उपचुनावों के लिए वोटिंग होगी। चुनाव के लिए नामांकन 21 अक्टूबर से शुरू होंगे व 14 को परिणाम जारी होंगे।
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अंता उपचुनाव
- फोटो : अंता उपचुनाव
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विस्तार
राजस्थान के अंता विधानसभा उपचुनावों का ऐलान हो चुका है। राज्य निर्वाचन विभाग की ओर से फाइनल वोटर लिस्ट भी जारी कर दी गई है। साल 2023 के मुकाबले इस बार वोटर 10535 वोटर बढ़े हैं। पिछले चुनाव के मुबाबले इस बार महिला वोटर्स की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। पिछले चुनावों में जहां महिला वोटर्स की संख्या 104907 थीं, वह इस बार बढ़कर 1 लाख 11 हजार 154 हो गई है। पहली बार वोट करने वाले युवाओं की संख्या 8540 है। कुल पोलिंग बूथ 247 है।
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राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार अंता विधानसभा क्षेत्र में 1 अक्टूबर 2025 तक कुल 2,27,563 मतदाता पंजीकृत हैं, जिसमें 1 लाख 16 हजार 405 पुरुष एवं 1 लाख 11 हजार 154 महिला और 4 अन्य मतदाता नामांकित है जो विधानसभा क्षेत्र में स्थापित 268 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। जबकि साल 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में यहां कुल 217028 वोटर पंजीकृत थे। इसमें पुरुष वोटर 112115 व महिला वोटर 104907 थीं।
2 जिलों की सियासत साधती है अंता
यह राजस्थान की उन चुनिंदा विधानसभा में शामिल है जिनमें दो जिलों के वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इसमें कोटा और बारां पोलिंग बूथ शामिल हैं। हालांकि इसमें लगभग 99 प्रतिशत पोलिंग बूथ बारां जिले में ही आते हैं लेकिन कोटा में भी इस इस सीट के मतदाता हैं।
‘गांवों’ का चुनाव, 70 फीसदी वोटर किसान
अंता सीट को गांवों का उपचुनाव भी कहा जा सकता है क्योंकि इस सीट के लगभग 70 प्रतिशत पोलिंग स्टेशन ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं। यानी इस सीट पर वोट करने वाले बहुसंख्यक वोटर किसान वर्ग से होंगे।
सियासी समीकरण
मीणा बाहुल्य सीट है। पिछला चुनाव वसुंधरा राजे के समर्थक कंवरलाल मीणा ने जीता था। लेकिन एक आपराधिक मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें सजा सुना दी जिसके चलते विधानसभा से उनकी सदस्ता चली गई। इसके बाद यहां उपचुनाव घोषित हुए हैं। अंता सीट गठन के बाद से अब तक यहां 5 चुनाव हो चुके हैं। अंता विधानसभा सीट का गठन 2008 में हुआ था। इस सीट पर पहला चुनाव 2008 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया ने जीत हासिल की और मंत्री बने। इसके बाद 2013 में बीजेपी ने बाहरी नेता प्रभुलाल सैनी को मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत दर्ज की और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री बने। 2018 में प्रमोद जैन भाया ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बने।
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