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Jaipur News: राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में फिर मचा बवाल, एडहॉक कमेटी कन्वीनर ने लगाए फर्जी हस्ताक्षर के आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: जयपुर ब्यूरो
Updated Mon, 01 Dec 2025 06:15 PM IST
सार
आरसीए द्वारा हाल ही में एक नई हॉस्पिटैलिटी कंपनी के साथ हुए करार पर एडहॉक कमेटी के कन्वीनर डीडी कुमावत ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए जाने का गंभीर आरोप लगाया है।
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आरसीए कार्यालय
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विस्तार
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एक बार फिर से विवादों के घेरे में आ गया है। बीते कुछ समय से एडहॉक कमेटी के भीतर तनाव और आरोप-प्रत्यारोप की स्थितियां बनी हुई हैं, जिसे लेकर क्रिकेट जगत पहले से ही सवाल उठाता रहा है। अब इस विवाद में नया मोड़ तब आया जब एडहॉक कमेटी के कन्वीनर डीडी कुमावत ने अपने फर्जी हस्ताक्षर किए जाने का गंभीर आरोप लगाया है।
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ताजा मामला आरसीए द्वारा हाल ही में धानिश नामक एक नई हॉस्पिटैलिटी कंपनी के साथ किए गए अनुबंध से जुड़ा है। इस कंपनी को खिलाड़ियों की टिकट बुकिंग, होटल व्यवस्था, भोजन और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन इसी करार को लेकर कुमावत ने दावा किया है कि इस महत्वपूर्ण अनुबंध पर उनके फर्जी सिग्नेचर कर दिए गए हैं।
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कुमावत के अनुसार एडहॉक कमेटी में किसी भी बड़े निर्णय के लिए कन्वीनर की स्वीकृति अनिवार्य होती है परंतु आरसीए के एक कर्मचारी ने बिना सूचना के उनकी जगह हस्ताक्षर कर दिए और करार को अंतिम रूप दे दिया। उन्होंने कहा है कि उन्होंने किसी भी ऐसे प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है। अब वे पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करवाने की तैयारी कर रहे हैं।
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इस विवाद के बीच आरसीए में एक और हलचल तब देखी गई जब पूर्व आरसीए सचिव और धौलपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव सोमेंद्र तिवारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। तिवारी ऑब्जरवेशन कमेटी के सदस्य थे, जिसे टीम सिलेक्शन प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए गठित किया गया था।
तिवारी ने आरोप लगाया कि जिस कमेटी का उद्देश्य चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना था, उसमें ही मनमानी की जा रही है। उनके अनुसार कुछ खिलाड़ी जो चयन के योग्य हैं, उन्हें टीम में जगह नहीं मिल रही, जबकि कुछ ऐसे खिलाड़ियों को खिलाया जा रहा है जो चयन के मानकों पर खरे नहीं उतरते।
लगातार बढ़ते आरोपों, आंतरिक खींचतान और महत्वपूर्ण पदों से इस्तीफों ने आरसीए की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। क्रिकेट प्रेमियों और खिलाड़ियों के बीच भी आरसीए की विश्वसनीयता को लेकर चिंताएं गहराने लगी हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोपों की जांच किस दिशा में जाती है और आरसीए अपने भीतर की उथल-पुथल को कैसे संभालता है।