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Rajasthan News: ‘संगठन स्वयंसेवकों की प्रतिबद्धता से चलता है’, जयपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Sun, 16 Nov 2025 07:40 PM IST
सार

Mohan Bhagwat: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जयपुर में कहा कि संघ की असली शक्ति उसके स्वयंसेवकों की प्रतिबद्धता और जीवन ऊर्जा है। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने मूल भावना को बनाए रखने पर जोर दिया और प्राचारकों के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा दी।
 

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Jaipur News: RSS chief Mohan Bhagwat says organization runs on commitment of volunteers
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत
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विस्तार
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जयपुर में रविवार को आयोजित पुस्तक ‘और यह जीवन समर्पित’ के विमोचन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ की ताकत उसके स्वयंसेवकों की भावनात्मक शक्ति और जीवन समर्पण से आती है। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से हर स्वयंसेवक स्वभावतः प्रचारक बन जाता है और यही संघ की जीवन ऊर्जा है।

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‘सुविधाओं के बढ़ने के साथ चुनौतियां भी बढ़ीं, मूल भावना न बदले’
भागवत ने कहा कि संघ के विस्तार और सुविधाओं में वृद्धि के साथ नई चुनौतियां भी पैदा हुई हैं। उन्होंने चेताया कि प्रारंभिक दौर की साधना, उपेक्षा और संघर्ष की जो बुनियादी भावना थी, उसे बनाए रखना आवश्यक है। उनके अनुसार, वही मूल भाव संघ को आगे बढ़ाएगा।
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‘संघ को दूर से समझना संभव नहीं’
RSS प्रमुख ने कहा कि संघ के कार्य को दूर से देखकर समझा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि कई लोगों ने प्रतियोगिता में संघ जैसी शाखाएं चलाने की कोशिश की, लेकिन वे 15 दिन से ज्यादा नहीं चल पाईं। इसके विपरीत संघ की शाखाएं सौ वर्षों से सतत चल रही हैं, क्योंकि उनका आधार स्वयंसेवकों की निष्ठा है।

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‘शाखाओं का प्रभाव आज सार्वजनिक चर्चा का विषय’
भागवत ने कहा कि आज संघ का काम जनचर्चा और सद्भावना का विषय बन चुका है। उन्होंने याद दिलाया कि एक सदी पहले साधारण शाखाओं से राष्ट्र-निर्माण में योगदान की कल्पना भी नहीं की जाती थी, लेकिन आज समाज में व्यापक स्वीकार्यता के साथ संघ अपनी शताब्दी मना रहा है।
 
24 दिवंगत प्रचारकों की जीवन यात्रा पर आधारित पुस्तक
पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा कि यह राजस्थान के 24 दिवंगत प्रचारकों के जीवन संघर्ष और मूल्यों को सामने लाती है, जो न केवल गर्व का विषय है बल्कि प्रेरणा भी देती है। भागवत ने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे इन जीवन आदर्शों को आत्मसात करें। उन्होंने कहा कि इनका एक अंश भी हमारे जीवन में उतर जाए तो हम समाज और राष्ट्र को प्रकाशमान कर सकते हैं।

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