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जयपुर पुलिस : राजस्थान में मोबाइल लूट के लिए झारखंड में ट्रेनिंग कैंप,बांग्लादेश में माल सप्लाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: सौरभ भट्ट
Updated Tue, 23 Dec 2025 09:03 AM IST
सार
जयपुर पुलिस ने मोबाइल चोरी का एक अंतरराष्ट्रीय गैंग पकड़ा है। गैंग के जरिए चोरी किए गए मोबाइल पहले झारखंड और फिर मालदा भेजे जाते हैं, जहां से एक एजेंट के जरिए उन्हें बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। कैसे होती है इनकी ट्रेनिंग, पढ़िए इस रिपोर्ट में
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मोबाइल चोरी गैंग
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान में मोबाइल चोरी अब केवल स्थानीय अपराध नहीं रह गई है, बल्कि यह अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा बन चुकी है। यह चौंकाने वाला खुलासा आपको हैरान कर देगा। मोबाइल फोन चोरी के लिए बकायदा ट्रेनिंग कैंप चलाए जा रहे हैं। यह कैंप राजस्थान में नहीं बल्कि यहां से 1500 किमी दूर झारखंड में चलाए जा रहे हैं। जयपुर के स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने यह हैरान करने वाली जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि झारखंड के शाहबगंज क्षेत्र का एक महाराजपुर नाम का गांव में बच्चों को राजस्थान में अपराध करने की बकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां ट्रेनिंग कैंप चलाए जाते हैं, जिसमें 10 साल तक के बच्चों को मोबाइल लूटने और चोरी किए गए मोबाइल बेचने की ट्रेनिंग दी जाती है – ट्रेनिंग के बाद बच्चों और युवाओं की अलग-अलग टीमें बनाकर उन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में भेजा जाता है। चोरी के मोबाइल बड़े स्तर पर बांग्लादेश बेच दिए जाते है जिसे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।
चोरी-लूट राजस्थान में सप्लाई नेपाल-बांग्लादेश में
राजस्थान में पिछले दिनों मोबाइल चोरी और लूट की बढ़ती वारदातों के आरोपी पकड़े गए तो यह चौंकाने वाले खुलासे हुए। राजस्थान में बाहर से आने वाले संगठित गिरोह जयपुर सहित कई जिलों में सक्रिय हैं। इन गिरोहों का सबसे बड़ा टारगेट महंगे iPhone होते हैं, जिन्हें चोरी और लूट के बाद झारखंड होते हुए बांग्लादेश और नेपाल तक सप्लाई किया जा रहा है। जयपुर पुलिस की कार्रवाई में इस पूरे नेटवर्क का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
राहुल प्रकाश ने बताया कि पिछले दिनों जयपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग बाहरी राज्यों से आकर भीडभाड वाली जगहों, रेलवे स्टेशन,बस स्टेण्ड पर फोन छीनना और चोरी करना का काम एक गैंग के रूप में कर रहे हैं जिस पर सीएसटी, डीएसटी ईस्ट और पुलिस थाना बजाज नगर द्वारा एक्शन लेते हुए 3 आरोपी को गिरफ्तार किया जिनके कब्जे से 31 चोरी के महंगे मोबाइल फोन (7 आईफोन व 24 विभिन्न कंपनीयों के एन्ड्रोयड फोन जिनकी कुल कीमत करीब 22 लाख रूपये) बरामद किये गये थे।
चोरी का फोन 10 से 40 हजार में
जांच में यह भी सामने आया है कि चोरी किए गए मोबाइल पहले झारखंड और फिर मालदा भेजे जाते हैं, जहां से एक एजेंट के जरिए उन्हें बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। गिरोह के पास मोबाइल की अलग-अलग रेट लिस्ट होती है, जिसमें 10 हजार से 40 हजार रुपये तक मोबाइल बेचे जाते हैं, जबकि उनकी बाजार कीमत एक लाख रुपये से ज्यादा होती है। पुलिस के अनुसार गिरोह का हर सदस्य महीने में करीब 1 से डेढ़ लाख रुपये तक कमा लेता है। ये अपराधी शॉपिंग मॉल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सब्जी मंडी और यहां तक कि चलती ट्रेनों को भी टारगेट करते हैं। ट्रेन में दरवाजे या खिड़की से हाथ बाहर होने पर मोबाइल छीनकर फरार हो जाना इनकी आम रणनीति है।
यह भी पढें- राजस्थान अरावली विवाद क्या है: आखिर क्या है 100 मीटर का सच, 2010 और 2025 की परिभाषा में कितना फर्क?
IMEI नंबर भी बदल दिए जाते हैं
जयपुर पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनसे पूछताछ में नेटवर्क की पूरी जानकारी सामने आई है। अब पुलिस की टीम मालदा में बैठे एजेंट की तलाश में जुटी हुई है – जांच में यह भी सामने आया है कि बांग्लादेश और नेपाल में मोबाइल पहुंचने के बाद उनके IMEI नंबर बदल दिए जाते हैं, जिससे उन्हें ट्रेस करना बेहद मुश्किल हो जाता है। बांग्लादेश में इन मोबाइलों का इस्तेमाल साइबर ठगी और अन्य आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है।
छोटे बच्चों से करवाते हैं अपराध, 20 हजार का लालच
पुलिस की पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि गिरोह नाबालिग बच्चों को भी वारदातों में शामिल करता है। बच्चों को हर महीने करीब 20 हजार रुपए दिए जाते हैं। नाबालिग होने का फायदा यह है कि पकड़े जाने पर कई बार लोग या पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती। मोबाइलों को बांग्लादेश भेजने के लिए गिरोह गंगा नदी के रास्ते का इस्तेमाल करता है।नदी के जरिए एक साथ बड़ी खेप भेजी जाती है और वहीं सस्ती दरों पर मोबाइल बेच दिए जाते हैं।
इनका कहना है
जयपुर पुलिस की जांच में सामने आया है कि झारखंड के शाहबगंज क्षेत्र के महाराजपुर गांव से जुड़े गिरोह राजस्थान में मोबाइल स्नैचिंग की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं । करीब दो से ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव के अधिकांश लोग मोबाइल चोरी के नेटवर्क से जुड़े बताए जा रहे हैं । गांव में बाकायदा ट्रेनिंग कैंप चलाए जाते हैं, जहां 10 साल तक के बच्चों को मोबाइल लूटने और चोरी किए गए मोबाइल बेचने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के बाद बच्चों और युवाओं की अलग-अलग टीमें बनाकर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है। राजस्थान में सक्रिय ये गिरोह 7 से 10 दिन के भीतर 50 से 60 मोबाइल लूटकर फरार हो जाते हैं।
राहुल प्रकाश, स्पेशल पुलिस कमिश्नर, जयपुर
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चोरी-लूट राजस्थान में सप्लाई नेपाल-बांग्लादेश में
राजस्थान में पिछले दिनों मोबाइल चोरी और लूट की बढ़ती वारदातों के आरोपी पकड़े गए तो यह चौंकाने वाले खुलासे हुए। राजस्थान में बाहर से आने वाले संगठित गिरोह जयपुर सहित कई जिलों में सक्रिय हैं। इन गिरोहों का सबसे बड़ा टारगेट महंगे iPhone होते हैं, जिन्हें चोरी और लूट के बाद झारखंड होते हुए बांग्लादेश और नेपाल तक सप्लाई किया जा रहा है। जयपुर पुलिस की कार्रवाई में इस पूरे नेटवर्क का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
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राहुल प्रकाश ने बताया कि पिछले दिनों जयपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग बाहरी राज्यों से आकर भीडभाड वाली जगहों, रेलवे स्टेशन,बस स्टेण्ड पर फोन छीनना और चोरी करना का काम एक गैंग के रूप में कर रहे हैं जिस पर सीएसटी, डीएसटी ईस्ट और पुलिस थाना बजाज नगर द्वारा एक्शन लेते हुए 3 आरोपी को गिरफ्तार किया जिनके कब्जे से 31 चोरी के महंगे मोबाइल फोन (7 आईफोन व 24 विभिन्न कंपनीयों के एन्ड्रोयड फोन जिनकी कुल कीमत करीब 22 लाख रूपये) बरामद किये गये थे।
चोरी का फोन 10 से 40 हजार में
जांच में यह भी सामने आया है कि चोरी किए गए मोबाइल पहले झारखंड और फिर मालदा भेजे जाते हैं, जहां से एक एजेंट के जरिए उन्हें बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। गिरोह के पास मोबाइल की अलग-अलग रेट लिस्ट होती है, जिसमें 10 हजार से 40 हजार रुपये तक मोबाइल बेचे जाते हैं, जबकि उनकी बाजार कीमत एक लाख रुपये से ज्यादा होती है। पुलिस के अनुसार गिरोह का हर सदस्य महीने में करीब 1 से डेढ़ लाख रुपये तक कमा लेता है। ये अपराधी शॉपिंग मॉल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सब्जी मंडी और यहां तक कि चलती ट्रेनों को भी टारगेट करते हैं। ट्रेन में दरवाजे या खिड़की से हाथ बाहर होने पर मोबाइल छीनकर फरार हो जाना इनकी आम रणनीति है।
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IMEI नंबर भी बदल दिए जाते हैं
जयपुर पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनसे पूछताछ में नेटवर्क की पूरी जानकारी सामने आई है। अब पुलिस की टीम मालदा में बैठे एजेंट की तलाश में जुटी हुई है – जांच में यह भी सामने आया है कि बांग्लादेश और नेपाल में मोबाइल पहुंचने के बाद उनके IMEI नंबर बदल दिए जाते हैं, जिससे उन्हें ट्रेस करना बेहद मुश्किल हो जाता है। बांग्लादेश में इन मोबाइलों का इस्तेमाल साइबर ठगी और अन्य आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है।
छोटे बच्चों से करवाते हैं अपराध, 20 हजार का लालच
पुलिस की पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि गिरोह नाबालिग बच्चों को भी वारदातों में शामिल करता है। बच्चों को हर महीने करीब 20 हजार रुपए दिए जाते हैं। नाबालिग होने का फायदा यह है कि पकड़े जाने पर कई बार लोग या पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती। मोबाइलों को बांग्लादेश भेजने के लिए गिरोह गंगा नदी के रास्ते का इस्तेमाल करता है।नदी के जरिए एक साथ बड़ी खेप भेजी जाती है और वहीं सस्ती दरों पर मोबाइल बेच दिए जाते हैं।
इनका कहना है
जयपुर पुलिस की जांच में सामने आया है कि झारखंड के शाहबगंज क्षेत्र के महाराजपुर गांव से जुड़े गिरोह राजस्थान में मोबाइल स्नैचिंग की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं । करीब दो से ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव के अधिकांश लोग मोबाइल चोरी के नेटवर्क से जुड़े बताए जा रहे हैं । गांव में बाकायदा ट्रेनिंग कैंप चलाए जाते हैं, जहां 10 साल तक के बच्चों को मोबाइल लूटने और चोरी किए गए मोबाइल बेचने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के बाद बच्चों और युवाओं की अलग-अलग टीमें बनाकर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है। राजस्थान में सक्रिय ये गिरोह 7 से 10 दिन के भीतर 50 से 60 मोबाइल लूटकर फरार हो जाते हैं।
राहुल प्रकाश, स्पेशल पुलिस कमिश्नर, जयपुर