सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Rajasthan ›   Jaipur News ›   Rajasthan: Distance between power and organization continues, BJP has not been able to find any solution

Rajasthan News: दशकों पुराने मर्ज का अब तक कोई इलाज नहीं ढूंढ पाई भाजपा, सत्ता और संगठन के बीच दूरियां बरकरार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: प्रिया वर्मा Updated Fri, 23 Aug 2024 01:00 PM IST
सार

संघ की बेरुखी, गड़बड़ सोशल इंजीनियरिंग, बाहरी नेताओं की ज्यादा पूछ, ब्यूरोक्रेसी का हावी रहना, सरकार और संगठन में तालमेल की कमी, भाजपा को राजस्थान के लोकसभा चुनावों में 11 सीटों पर मिली हार के यही बड़े कारण रहे थे लेकिन इतने बड़े नुकसान के बावजूद भाजपा अब तक इस मर्ज का इलाज नहीं ढूंढ पाई है।

विज्ञापन
Rajasthan: Distance between power and organization continues, BJP has not been able to find any solution
राजस्थान - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

प्रदेश में भजनलाल सरकार को बने 8 महीनों से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन अब भी सरकार और संगठन का तालमेल मुद्दा बड़ा बना हुआ है। ये वो मर्ज है, जिसके साथ बीजेपी दशकों से जूझती आई है लेकिन आज तक इसका इलाज नहीं ढूंढ पाई। सीपी जोशी गए तो उनकी जगह मदन राठौड़ आ गए लेकिन हालात नहीं बदले। नए अध्यक्ष की अगुवाई में बीजेपी का सदस्यता अभियान शुरू होने से पहले ही सवालों के घेरे में आ गया। 
Trending Videos


पहले प्रदेश प्रभारी राधामोहन अग्रवाल ने बीजेपी के सदस्यता अभियान की कार्यशाला में मंत्री और विधायकों की गैर मौजूदगी पर नाराजगी जताई तो कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर हमला बोल दिया। इसके बाद अभियान के लिए गठित सदस्यता टोली को लेकर भी सवाल उठे कि क्या इतने बड़े अभियान के लिए सत्ता और संगठन के बीच संवाद नहीं हुआ। 
विज्ञापन
विज्ञापन


गौरतलब है कि भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने दो दिन पहले 21 अगस्त को ही सदस्यता अभियान के लिए टोली गठित की थी, इसमें अरुण चतुर्वेदी को संयोजक बनाया गया था। इनके अलावा सह संयोजक के रूप में मोतीलाल मीणा, विजेंद्र पूनिया, अनिता भदेल, निर्मल कुमावत, आईदान सिंह भाटी को शामिल किया गया था। इसके बाद 22 अगस्त की देर शाम संशोधित सूची जारी कर इसमें शक्तिसिंह कालियास का नाम जोड़ना पड़ गया। शक्तिसिंह कालियास भीलवाड़ा से आते हैं और टीम भजनलाल शर्मा का हिस्सा माने जाते हैं।

पहले सीपी के सिर फूटा ठीकरा

मदन राठौड़ को सीपी जोशी की जगह बीजेपी की कमान सौंपे जाने का बड़ा कारण यही था कि संगठन और सरकार दोनों जगह लो प्रोफाइल नेता रहेंगे तो सामंजस्य में दिक्कत कम होगी। हालांकि सीपी जोशी भी लो प्रोफाइल माने जाते हैं लेकिन भजनलाल के सीएम बनने के बाद संगठन से सामंजस्य बिगड़ा और पार्टी धड़ों में बंटी नजर आई। इसके चलते लोकसभा चुनावों में भाजपा को राजस्थान में मुंह की खानी पड़ी। आखिर में हार का ठीकरा सीपी जोशी के सिर फूटा और उनकी अध्यक्ष पद से विदाई कर दी गई। 

संघ की बेरुखी

लोकसभा चुनावों के दौरान संघ की नाराजगी के किस्से भी सामने आए। राजस्थान की बात करें तो ब्यूरोक्रेसी को लेकर संघ नाखुश है। पिछली सरकार के पॉवरफुल अफसरों को भजनलाल सरकार हिला भी नहीं पाई है। ब्यूरोक्रेसी के हावी होने के कई मामले सत्तापक्ष की तरफ से ही उठाए गए। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और सीएस को सुपर सीएम तक बताया गया।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed