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Rajasthan: 'दो बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं, भले शादी की उम्र न हो', राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: शबाहत हुसैन Updated Fri, 05 Dec 2025 10:58 AM IST
सार

Rajasthan: राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा कि दो बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं, भले ही वे विवाह योग्य उम्र के न हों। कोटा के 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक की सुरक्षा याचिका पर कोर्ट ने कहा कि लिव-इन प्रतिबंधित नहीं है और पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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Rajasthan High Court Allows Live In Couples Without Marriage Age Rule Check details in Hindi
राजस्थान हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि दो बालिग व्यक्ति यदि अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं, तो वे विवाह योग्य आयु नहीं होने के बावजूद लिव-इन रिश्ते में रह सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल शादी की कानूनी उम्र पूरी न होने के आधार पर किसी के संवैधानिक अधिकारों को सीमित नहीं किया जा सकता।
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जस्टिस अनूप धंड ने यह फैसला उस याचिका पर सुनाया जिसमें कोटा निवासी 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक ने सुरक्षा की मांग की थी। दोनों ने अदालत को बताया कि वे अपनी स्वेच्छा से साथ रह रहे हैं और 27 अक्तूबर 2025 को एक लिव-इन एग्रीमेंट भी किया है।
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याचिकाकर्ताओं का कहना था कि युवती के परिवार वाले इस रिश्ते का विरोध कर रहे हैं और उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर कोटा पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सरकारी पक्ष की ओर से लोक अभियोजक विवेक चौधरी ने दलील दी कि युवक की उम्र 21 वर्ष से कम है, जो पुरुषों के लिए कानूनी विवाह आयु है, इसलिए उसे लिव-इन संबंध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीना जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता विवाह योग्य उम्र के नहीं हैं। अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय कानून में लिव-इन रिलेशन न तो प्रतिबंधित है और न ही अपराध माना गया है। जस्टिस धंड ने भीलवाड़ा और जोधपुर (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षकों को याचिका में दर्ज तथ्यों की जांच करने, खतरे का आकलन करने और आवश्यकता होने पर जोड़े को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

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