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Rajasthan News: प्राइवेट प्रेक्टिस पर विवाद बढ़ा; जानिए डॉक्टर्स के सामूहिक इस्तीफे पर मंत्री ने क्या कहा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Wed, 19 Nov 2025 07:30 AM IST
सार

Rajasthan News: राजस्थान में निजी प्रैक्टिस रोकने के हालिया आदेश के विरोध में एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी अस्पतालों के अधीक्षकों ने सामूहिक इस्तीफ़े दे दिए। चिकित्सा मंत्री ने इस्तीफे न मिलने की बात कही और कहा कि मांगें उचित होंगी तो विचार किया जाएगा।

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Rajasthan News: SMS Hospital Superintendents Resign in Protest Against Ban on Private Practice
एसएमएस अस्पताल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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 Rajasthan News: सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सभी अस्पतालों के अधीक्षकों ने सोमवार को सामूहिक रूप से अपने इस्तीफ़े कॉलेज प्रिंसिपल को सौंप दिए। यह कदम चिकित्सा शिक्षा विभाग के हालिया आदेश के विरोध में उठाया गया, जिसमें कहा गया था कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल, नियंत्रक और संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षक निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। इस आदेश का चिकित्सकों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया। अधीक्षकों का कहना है कि यह निर्णय वरिष्ठ चिकित्सकों के अधिकारों का हनन है। आदेश के बाद राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (RMCTA) भी खुलकर विरोध में उतर आया है। एसोसिएशन ने सवाल उठाया है कि इस तरह का आदेश क्यों जारी किया गया और इसके पीछे सरकार का उद्देश्य क्या है, इसकी स्पष्टता नहीं है।

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मंत्री बोले- अभी इस्तीफ़े नहीं मिले, मांगें हुईं थीं…
मामले पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि उन्हें अब तक किसी अधीक्षक का इस्तीफ़ा प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने कुछ मांगें रखी थीं, जिन पर सरकार विचार कर रही है। मंत्री ने संकेत दिया कि यदि मांगें उचित लगती हैं तो उन पर निर्णय लिया जाएगा। चिकित्सा मंत्री ने यह भी कहा कि प्राचार्य और अधीक्षक जैसे पद पूर्णकालिक प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए होते हैं। यदि ये अधिकारी OPD चलाने और निजी तौर पर मरीज देखने में व्यस्त रहेंगे तो अस्पताल के प्रशासनिक कामकाज पर असर पड़ सकता है। इसी आधार पर सरकार ने यह आदेश जारी किया है।

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अलग से प्रशासक नियुक्त करने के संकेत
मंत्री खींवसर ने कहा कि यदि प्राचार्य और अधीक्षक केवल मरीज देखना चाहते हैं और प्रशासनिक दायित्व निभाने में रुचि नहीं रखते, तो सरकार मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में अलग से एडमिनिस्ट्रेटिव अधिकारी नियुक्त करने पर विचार कर सकती है।

क्या है विवादित आदेश?
11 नवंबर को जारी आदेश में कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं—

  • मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और अधीक्षक निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।

  • डॉक्टर सीधे प्रिंसिपल नहीं बनाए जा सकेंगे।

  • प्रिंसिपल पद के लिए 3 वर्ष अधीक्षक/अतिरिक्त प्रिंसिपल और 2 वर्ष HOD का अनुभव अनिवार्य।

  • प्रिंसिपल चयन के लिए 4 सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई।

  • प्रिंसिपल और अधीक्षक को क्लीनिकल कार्य सिर्फ 25% तक सीमित किया गया।

  • दोनों पदाधिकारियों को यूनिट हेड या HOD नहीं बनाया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के इस परिवर्तनकारी निर्णय के बाद पूरे राज्य में चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था को लेकर बहस छिड़ गई है।

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