Rajasthan: SC ने राजस्थान के विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी कानून की वैधता पर राज्य सरकार से मांगा जवाब, जानें
Rajasthan Controversial Anti-Conversion Law 2025: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 2025 धर्मांतरण विरोधी कानून की वैधता को चुनौती देने वाली कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा। कानून में धोखे से सामूहिक धर्मांतरण पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। मामले को अन्य राज्यों की याचिकाओं के साथ टैग किया गया।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर राजस्थान प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन एक्ट, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा।
याचिका कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया ने दायर की
जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका को अन्य समान लंबित मामलों के साथ टैग कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस कानून को ‘अल्ट्रा वायर्स और असंवैधानिक’ घोषित करने की मांग की है। कोर्ट ने पहले भी इसी तरह की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते हुए राजस्थान सरकार से जवाब तलब किया था।
सॉलिसिटर जनरल ने दी समान मामलों की जानकारी
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि इस तरह के कई मामले पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आगे की तारीख तय की।
राजस्थान के 2025 कानून में कड़ी सजा का प्रावधान
राजस्थान का यह कानून धोखाधड़ी, प्रलोभन या जबरन धर्मांतरण को गंभीर अपराध मानता है। कानून के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:-
- सामूहिक धर्मांतरण के लिए 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा।
- धोखे से धर्मांतरण कराने पर 7 से 14 वर्ष तक की कैद।
- नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या दिव्यांग व्यक्ति का धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 वर्ष तक की सजा और न्यूनतम 10 लाख रुपये जुर्माना।
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कई राज्यों के कानूनों पर पहले से चल रही सुनवाई
सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक समेत कई राज्यों के समान धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर अलग-अलग याचिकाओं में उन राज्यों से जवाब मांगा था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सभी जवाब आने के बाद ही इन कानूनों के अमल पर रोक लगाने की मांग पर विचार किया जाएगा।
अब क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राजस्थान सरकार को निर्धारित समय के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। उसके बाद सभी संबंधित याचिकाओं पर एक साथ विस्तृत सुनवाई होगी।
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