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Rajasthan Result: राजस्थान में पांच सीटों पर खिला कमल, ऐसी सीटें भी जीतीं जहां दशकों से नहीं खुला था खाता
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sat, 23 Nov 2024 04:31 PM IST
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सार
राजस्थान में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत दर्ज की। खास बात यह है कि इनमें ऐसी सीटें भी हैं, जहां बीजेपी ने दशकों से खाता भी नहीं खोला था, जिन सात सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। उनमें से बीजेपी के पास सिर्फ सलूंबर सीट थी। अब सलूंबर के साथ, खींवसर, झुंझुनूं, देवली-उनियारा और रामगढ़ सीट भी जुड़ गई है।
राजस्थान उपचुनाव रिजल्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 119 हो गई है। उपचुनाव में बीजेपी पांच सीटें जीत गई है। इनमें सलूंबर, खींवसर, झुंझुनूं, देवली-उनियारा और रामगढ़ सीट शामिल है। झुंझुनूं में बीजेपी की जीत इस मायने में भी अहम है। क्योंकि बीजेपी यहां दशकों से चुनाव नहीं जीती थी। बीजेपी ने अखिरी बार साल 2003 में यह सीट जीती थी। इसके बाद से यह सीट कांग्रेस के टिकट पर बृजेंद्र ओला जीतते रहे। इसलिए यह यह सीट कांग्रेस और ओला परिवार का गढ़ मानी जाती थी। अब बीजेपी के राजेंद्र भांबू ने बृजेंद्र ओला के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला को 42,828 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया है।
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खास बात यह है कि 2023 के विधानसभा चुनावों में भी राजेंद्र भांबू ने यहां बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उस चुनाव में भांबू को कुल 42,407 वोट मिले थे। यानी भांबू को 2,023 में जितने वोट मिले थे, उससे ज्यादा वोटों के अंतर से उन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की है। हालांकि, उनकी जीत में निर्दलीय राजेंद्र गुढ़ा का भी बड़ा रोल रहा है। राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस के वोट काटने का काम किया।
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खींवसर में कांग्रेस-बीजेपी के मेलजोल में फंस गए हनुमान
खींवसर के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे। हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल यहां बीजेपी के रेवतराम डांगा से चुनाव हार गए। इसकी बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने यहां हनुमान को हरवाने के लिए बीजेपी में वोट शिफ्ट करवाए हैं। साल 2023 में रेवतराम को खींवसर में करीब 77 हजार वोट मिले थे। इस बार उन्होंने एक लाख आठ हजार 628 वोट लिए हैं। यानी पिछले चुनावों के मुकाबले उन्होंने करीब 41 हजार से ज्यादा वोट लिए। वहीं, उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी कनिका बेनीवाल को 92,727 वोट मिले। कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी की यहां जमानत जब्त हो गई, उन्हें सिर्फ 5,454 वोट मिले हैं।
देवली-उनियारा में नरेश का फायदा बीजेपी को, कांग्रेस पर पड़े भारी
देवली-उनियारा सीट भी बीजेपी ने कांग्रेस से छीन ली है। यहां बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर 41,121 वोटों के अंतर से चुनाव जीते हैं। हालांकि, इसकी बड़ी वजह थप्पड़ कांड के आरोपी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा रहे। थप्पड़ कांड के बाद पूरे उनियारा में नरेश को लेकर मीणा वोटों का कंसोलिडेशन हो गया। इससे कांग्रेस के केसी मीणा नतीजों में तीसरे नंबर पर आ गए। नरेश 59,478 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे।
सलूंबर में आखिरी राउंड में हारी बीएपी
सबसे रोचक मुकाबला सलूंबर सीट पर देखने को मिला। यहां 21 राउंड तक बीएपी आगे चल रही थी। लेकिन आखिरी राउंड मे बाजी पलट गई और बीजेपी की शांता अमृतलाल मीणा 1,285 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गईं। सलूंबर एक मात्र सीट थी, जो उपचुनाव से पहले बीजेपी के पास थी।
दौसा में किरोड़ीलाल मीणा को मिला भितरघात, भाई चुनाव हारे
दौसा में मैच फिक्स तो हुआ, लेकिन कांग्रेस के डीडी बैरवा के पक्ष में। बीजेपी के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा दौसा उपचुनाव हार गए। हारने के साथ ही जगमोहन ने बयान दिया, जब अपने ही बेवफा हो जाएं तो कोई क्या करे। डीडी बैरवा ने 2,300 वोटों के अंतर से जगमोहन को चुनाव हरा दिया।
रामगढ़ में भी दिखी कांटे की टक्कर, बीजेपी के सुखवंत जीते
रामगढ़ सीट पर भी बार-बार समीकरण बदलते रहे। शुरुआत में कांग्रेस के आर्यन जुबेर 10 हजार वोटों तक की लीड़ ले गए थे। इसके बाद बीजेपी के सुखवंत ने वापसी की और राउंड पूरे होते-होते सुखवंत ने 13,614 वोटों से मुकाबला जीत लिया।