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Wildlife News: राजस्थान के 2 बाघ अभ्यारणों में इस साल एमपी और महाराष्ट्र से 5 बाघ रिलोकेट किए जाएंगे

न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Fri, 08 Aug 2025 04:34 PM IST
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सार

सार- राजस्थान के रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में जल्द ही बाघों का कुनबा बढ़ने वाला है। वन विभाग यहां मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से पांच बाघों को रिलोकेट करने की तैयारी कर रहा है। इसमें महाराष्ट्र से नर बाघों को एयरलिफ्ट करके लाया जाएगा।

 

Wildlife News:The Rajasthan Forest Department is all set to translocate five tigers
टाइगर रिजर्व में मौजूद बाघ
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विस्तार
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राजस्थान में इस साल के अंत तक 2 बाघ अभ्यारण्य में नए बाघों की एंट्री होने जा रही है। राज्य सरकार का वन विभाग महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से बाघों को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (MHTR) और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (RVTR) में शिफ्ट करने जा रहा है। इसके लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी(NTCA) से मंजूरी ली जा चुकी है।  इनमें नर और मादा दोनों तरह के बाघ होंगे। बाघों की रिलोकेशन इसी साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच की जाएगी। इनमें महाराष्ट्र से बाघों को एयरलिफ्ट किया जाना है।
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राजस्थान में ऐसा दूसरी बार होगा जब दूसरे राज्य से बाघों को एयरलिफ्ट कर यहां लाया जाएगा। इससे पहले 2008 में रणथम्भौर से सरिस्का में नर बाघ को एयरलिफ्ट करके ले जाया गया था। 
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वर्तमान में, RVTR में 7 बाघ हैं और  MHTR में एक शावक सहित पांच बाघ हैं। वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार ने बताया कि हाल में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मध्यप्रदेश से 3 और महाराष्ट्र से 2 बाघें को राजस्थान के बाघ अभ्यारण में रिलोकेट करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा, "शुरुआत में, अक्टूबर में RVTR और MHTR में एक-एक बाघ स्थानांतरित किया जाएगा। चरण बद्ध तरीके से बाघों की शिफ्टिंग का काम किया जाएगा। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाघों को एयरलिफ्ट करने के लिए भारतीय वायुसेना के विमान काम में लिए जाने हैं। इसके लिए वन विभाग ने भारतीय वायुसेना से अनुरोध भी किया है।
दरअसल बाघों की रिलोकेशन एक बेहद पेचीदा और तनाव भरा काम होता है। इसमें बाघों की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए यात्रा का समय कम लगे इसके लिए शिफ्टिंग का काम हवाई मार्ग से किए जाने के प्रयास हैं। बाघों के भोजन की व्यवस्था के लिए दोनों अभ्यारण्यों में 150 चित्तीदार हिरण छोड़े जाएंगे। 

एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया कि यह अन्य राज्यों से बाघों को राजस्थान में स्थानांतरित करने का पहला उदाहरण होगा। इस रिलोकेशन का एक मकसत राजस्थान में बाघों की आबादी में तेजी से बढ़ हरे अंत: प्रजनन को रोकना भी है।नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS) के शोध में पाया गया था कि राजस्थान में देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक इनब्रेड बाघ हैं।
मामले पर टिप्पणी करते हुए, रणथंभौर टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर मनोज पराशर ने कहा, "अंतःप्रजनन हर जगह एक चिंता का विषय है क्योंकि बाघों की आबादी अलग-थलग है।" उन्होंने कहा, "यह रणथंभौर के बाघ हैं जो सरिस्का और मुकुंदरा गए हैं। बाहर से किसी भी बाघ के संपर्क में आने की शून्य संभावना है।" उन्होंने कहा कि बाघों का रिलोकेशन प्रोजेक्ट अच्छा कदम है क्योंकि यहां दूसरे राज्यों के बाघों को नहीं लाया जाता है तो अगले 2 से 3 दशकों में यहां के बाघ अंत:प्रजनन से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो जाएंगे।
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