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Jalore News: 19 साल के बेटे ने छह साल से अलग रह रहे मां-बाप को फिर एक करा दिया, बैंक ने माफ किया विधवा का लोन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जालौर Published by: जालौर ब्यूरो Updated Mon, 22 Dec 2025 09:49 PM IST
सार

Jalore News: जालोर की राष्ट्रीय लोक अदालत में दो मानवीय फैसले सामने आए। 19 वर्षीय बेटे की पहल से छह साल से अलग माता-पिता फिर साथ आए। वहीं, बैंक ने विधवा की आर्थिक स्थिति देखकर कर्ज का ब्याज माफ कर राहत दी।

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Jalore News: 19-year-old son reunited his parents who had been separated for 6 years, bank waived widow's loan
बेटे ने मां-बाप को छह साल बाद फिर मिलवाया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जालौर में रविवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में भावनात्मक और मानवीय पहलुओं से जुड़े दो मामले सामने आए। एक ओर जहां 19 साल के बेटे ने 6 वर्षों से अलग रह रहे अपने माता-पिता को फिर से एक कर दिया। वहीं, दूसरी ओर एक विधवा महिला की आर्थिक मजबूरी को देखते हुए बैंक ने उसके कर्ज का ब्याज माफ कर राहत दी।

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बेटे की पहल से टूटा पारिवारिक विवाद
जालौर के पिजोपुरा गांव निवासी सांवलाराम देवासी और खेड़ा गांव निवासी भूरी देवी की शादी वर्ष 2004 में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। शादी के करीब 15 साल बाद दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और वर्ष 2019 से दोनों अलग-अलग रह रहे थे। दंपती के तीन बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़ा बेटा हमीराराम (19) है।
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भूरी देवी ने करीब तीन साल पहले बाल कल्याण समिति में भरण-पोषण का मामला दर्ज कराया था। पति सांवलाराम ने वर्ष 2025 तक भरण-पोषण की राशि दी। लंबे समय से कोर्ट में चल रहे मामले के कारण पूरा परिवार मानसिक तनाव में था।



इस दौरान सबसे बड़े बेटे हमीराराम ने अहम भूमिका निभाई। उसने लगातार माता-पिता को समझाया और छोटे भाइयों के भविष्य का हवाला देते हुए साथ रहने की अपील की। आखिरकार मामला लोक अदालत में पहुंचा, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राजेन्द्र सिंह चारण की समझाइश के बाद पति-पत्नी के बीच समझौता हो गया।

लोक अदालत में दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाकर जीवन भर साथ निभाने का संकल्प लिया। इस दृश्य को देखकर मौजूद लोग भावुक हो गए और बेटे की सराहना की। इसके बाद पूरा परिवार साथ घर लौट गया।

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विधवा की पीड़ा सुनकर बैंक ने किया कर्ज सेटलमेंट
लोक अदालत में दूसरा मामला आहोर उपखंड के चुंडा गांव निवासी रूपाराम दमामी से जुड़ा था। रूपाराम ने वर्ष 2020 में आईडीबीआई बैंक से 50 हजार रुपये का लोन लिया था। कुछ किस्तें भरने के बाद वह कैंसर से पीड़ित हो गए और वर्ष 2023 में उनका निधन हो गया।

पति की मौत के बाद उनकी पत्नी ही परिवार की एकमात्र कमाने वाली रह गई। वह मांगलिक कार्यक्रमों में ढोल बजाकर गुजर-बसर कर रही थी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह कर्ज की किस्तें नहीं भर पाई, जिससे 2025 तक ब्याज सहित रकम करीब 1 लाख रुपये हो गई।

लोक अदालत में मामला आने पर महिला भावुक होकर रो पड़ी और हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगाई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अहसान अहमद की पहल पर बैंक से बातचीत की गई। इसके बाद आईडीबीआई बैंक ने मानवीय आधार पर कर्ज को 30 हजार रुपये में सेटल कर दिया।

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