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Jhunjhunu: छात्र की हत्या के मामले में पांच साल बाद आया फैसला, आरोपी नाबालिग दोषी करार; आजीवन कारावास की सजा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, झुंझुनू Published by: झुंझुनू ब्यूरो Updated Wed, 16 Jul 2025 09:47 AM IST
सार

Jhunjhunu: झुंझुनूं जिले के बाल न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाया है। कक्षा 9 के छात्र की हत्या के मामले में दोषी पाए गए नाबालिग आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

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Big decision after 5 years in the case of murder of a student
न्यायालय - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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झुंझुनूं जिले से सामने आए छात्र हत्या के सनसनीखेज मामले में बाल न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कक्षा 9 के छात्र की हत्या के मामले में आरोपी नाबालिग को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने उस पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इस मामले की सुनवाई झुंझुनूं के बाल न्यायालय में न्यायाधीश दीपा गुर्जर की अदालत में हुई। न्यायाधीश ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों का विस्तार से विश्लेषण कर यह फैसला सुनाया।
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ऐसे सामने आया था मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 4 मार्च 2021 को बबाई गांव निवासी एक व्यक्ति ने पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसका बेटा गौरव, जो गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 9 का छात्र था, सुबह स्कूल जाने के बाद घर नहीं लौटा। शाम तक कोई खबर नहीं मिलने पर परिवार ने तलाश शुरू की। अगले दिन गौरव का शव गांव के पास स्थित एक खदान में पानी में पड़ा मिला। इस घटना से गांव और आस-पास के क्षेत्र में शोक और आक्रोश फैल गया था।
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जांच के दौरान आरोपी को पकड़ा गया
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज की और संदेह के आधार पर गांव के ही एक नाबालिग को हिरासत में लिया। पूछताछ और अन्य साक्ष्यों के आधार पर उसे इस हत्या के लिए जिम्मेदार मानते हुए किशोर न्याय बोर्ड में चालान पेश किया गया। बाद में इसे गंभीर अपराध मानते हुए मामला बाल न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

राज्य पक्ष की ओर से प्रभावी पैरवी
राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक रामावतार ढाका ने कोर्ट में मजबूत पैरवी की। उन्होंने 24 गवाहों के बयान और 44 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए। इन सभी साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी।

फैसले का महत्व
यह फैसला पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। साथ ही यह समाज को यह संदेश भी देता है कि यदि कोई नाबालिग भी गंभीर अपराध करता है तो कानून के प्रावधान उसके लिए भी सख्त हो सकते हैं।
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