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Jodhpur News: कार्यकर्ताओं के सिर चढ़कर बोला गहलोत का जादू, पर्यवेक्षकों के सामने प्रस्ताव पारित किया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Sun, 12 Oct 2025 10:59 PM IST
सार
जिला अध्यक्ष के चुनाव के लिए जोधपुर पहुंचे कांग्रेस पर्यवेक्षकों के सामने सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत का जादू खुलकर सामने आया।
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जोधपुर पहुंचे कांग्रेस पर्यवेक्षक
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जोधपुर की सरदारपुर विधानसभा में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आवेदन लेने पहुंचे कांग्रेस पर्यवेक्षकमंच से आवेदन के लिए बार-बार आह्वान करते रहे लेकिन कोई भी आवेदन करने नहीं पहुंचा। सभी ने एक ही लाइन का प्रस्ताव पारित किया कि जिसे भी अशोक गहलोत अध्यक्ष नियुक्त करेंगे, उन्हें स्वीकार होगा।
गहलोत को ऐसे ही सियासत का जादूगर नहीं कहा जाता, जब भी गहलोत और पर्यवेक्षक आमने-सामने होते हैं तो पर्यवेक्षकों को खाली हाथ लौटना ही पड़ा है। चाहे 2020 का मानेसर कांड हो चाहे 2022 में पायलट को मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्यवेक्षक राजस्थान आए हों। इस बार भी फिर से कुछ ऐसा ही देखने को मिला। मौका था, जोधपुर में जिला अध्यक्ष के चुनाव का।
दिल्ली से बड़ी तैयारी के साथ पर्यवेक्षक जोधपुर पहुंचे लेकिन यहां पर उन्हें ढाक के तीन पात देखने को मिले। पर्यवेक्षक दावेदारों को बुलाते रह गए और कोई सामने तक नहीं आया और राहुल गांधी द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों को मुंह की खानी पड़ी। सभी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कह दिया गहलोत जो कहेंगे वह अंतिम निर्णय होगा यानी कि फिर से एक लाइन का प्रस्ताव।
ये भी पढ़ें: Barmer News: निर्माणाधीन मकान में छत भरते समय हुआ हादसा, करंट लगने से दो मजदूरों की मौत, एक गंभीर रूप से घायल
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट किया जो पूरे प्रदेश में काफी चर्चा का विषय बना। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- संगठन सृजन अभियान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और एवं प्रतिपक्ष राहुल गांधी का एक नायाब प्रयोग है, जिसमें जिले के सभी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की राय लेकर जिला अध्यक्ष चुना जाएगा। कई जगह पर किसी नेता को जिला अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव या किसी सीनियर लीडर को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव पास करने की खबरें आई हैं, जो उचित नहीं है।
किसी भी सीनियर लीडर द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल या कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्ताव पास करना हाईकमान की भावना के अनुरूप नहीं है। इस अभियान का उद्देश्य ही पर्यवेक्षकों द्वारा सभी से चर्चा कर जिला अध्यक्ष का चयन करना है, जिससे सभी कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
गौरतलब है कि सचिन पायलट के लिए कभी ऐसे कार्यकर्ताओं का डेडीकेशन देखने को नहीं मिला। शायद ये उन लोगों के लिए जवाब होगा जो सियासत में गहलोत को बार-बार रिटायर करने और उन्हें साइड लाइन करने की बात करते रहते हैं।
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गहलोत को ऐसे ही सियासत का जादूगर नहीं कहा जाता, जब भी गहलोत और पर्यवेक्षक आमने-सामने होते हैं तो पर्यवेक्षकों को खाली हाथ लौटना ही पड़ा है। चाहे 2020 का मानेसर कांड हो चाहे 2022 में पायलट को मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्यवेक्षक राजस्थान आए हों। इस बार भी फिर से कुछ ऐसा ही देखने को मिला। मौका था, जोधपुर में जिला अध्यक्ष के चुनाव का।
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दिल्ली से बड़ी तैयारी के साथ पर्यवेक्षक जोधपुर पहुंचे लेकिन यहां पर उन्हें ढाक के तीन पात देखने को मिले। पर्यवेक्षक दावेदारों को बुलाते रह गए और कोई सामने तक नहीं आया और राहुल गांधी द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों को मुंह की खानी पड़ी। सभी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कह दिया गहलोत जो कहेंगे वह अंतिम निर्णय होगा यानी कि फिर से एक लाइन का प्रस्ताव।
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किसी भी सीनियर लीडर द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल या कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्ताव पास करना हाईकमान की भावना के अनुरूप नहीं है। इस अभियान का उद्देश्य ही पर्यवेक्षकों द्वारा सभी से चर्चा कर जिला अध्यक्ष का चयन करना है, जिससे सभी कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
गौरतलब है कि सचिन पायलट के लिए कभी ऐसे कार्यकर्ताओं का डेडीकेशन देखने को नहीं मिला। शायद ये उन लोगों के लिए जवाब होगा जो सियासत में गहलोत को बार-बार रिटायर करने और उन्हें साइड लाइन करने की बात करते रहते हैं।