कफ सिरप से मौत पर सियासत: बच्चों के मरने पर स्वास्थ्य मंत्री ने ठहराई माताओं की जिम्मेदारी, बेनीवाल क्या बोले?
Deaths Due To Cough Syrup: राजस्थान में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मंत्री के बयान ने विवाद को और भड़का दिया, जबकि बेनीवाल और विपक्ष ने सरकार को घेरा। जांच जारी है और सरकार पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।
विस्तार
राजस्थान के सीकर, भरतपुर, बांसवाड़ा और जयपुर समेत कई जिलों में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौतों ने स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। अब तक कम से कम 2 मासूमों की जान जा चुकी है और कई की हालत बिगड़ी हुई है। सिरप पीने के बाद उल्टी, दस्त, सांस लेने में तकलीफ और किडनी फेलियर जैसे लक्षण सामने आए। अभिभावकों का कहना है कि यह दवा सरकारी डॉक्टरों की सलाह पर दी गई थी।
जांच और कार्रवाई की कवायद
घटनाओं के बाद राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सिरप के 19 बैचों पर रोक लगा दी। ड्रग कंट्रोलर ने उपयोग और वितरण पर तुरंत प्रतिबंध लगाया। स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों व डॉक्टरों को सतर्क रहने की सलाह दी है। तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी गई है, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मामले की निगरानी शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान और विवाद
इस विवाद के बीच चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने साफ कहा कि जिन बच्चों की हालत बिगड़ी या जिनकी मौत हुई, उनकी माताओं ने दवा कहीं से खरीदकर या लाकर दी थी। यह हमारे सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की सलाह पर नहीं दी गई। जब कोई मां-बाप खुद से दवा लाकर देते हैं, तो विभाग की क्या जिम्मेदारी? यह हमारे दायरे से बाहर है। मंत्री ने आगे जोड़ा कि जांच चल रही है और जयपुर लौटते ही और गहन जांच करवाएंगे। हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने कहा कि अभी मैं कुछ नहीं कहूंगा। विभाग की रिपोर्ट पर ही कार्रवाई होगी। रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की बात होगी।
मंत्री के इस बयान को लेकर विपक्ष का कहना है कि निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित सिरप पर प्रतिबंध के बावजूद यह बाजार में कैसे पहुंचा, इसकी कोई स्पष्टता नहीं। आरएमएससीएल ने सिरप के बैचों पर रोक लगाई, लेकिन सरकारी केंद्रों पर स्टॉक की जांच में लापरवाही के आरोप लगे हैं। फिर भी मंत्री का बयान सुनकर अभिभावक आक्रोशित हैं।
सीकर की एक प्रभावित मां ने कहा कि हम गरीब हैं, डॉक्टर ने ही सिरप दिया। अब जिम्मेदारी हमारी? क्या हमारी मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है?
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हनुमान बेनीवाल ने उठाए गंभीर सवाल
नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। बेनीवाल ने सोशल मीडिया और मीडिया ब्रीफिंग में मंत्री खींवसर पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अब तो मंत्री जी जाग जाओ। आपको पता ही नहीं कि आपके विभाग में क्या हो रहा है। मंत्री जी को खुद यह मालूम नहीं कि विभाग में क्या चल रहा है।
बेनीवाल ने गुर्दे की चोरी के पुराने मामले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कुछ डॉक्टरों को निलंबित किया गया, लेकिन बाद में उन्हें वापस पोस्टिंग दे दी गई। अब यह कप सिरप का मामला। छह माह पहले जिस कंपनी को पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, वही कंपनी दूसरा लेबल चिपकाकर बाजार में बेच रही है। यह सब सरकारी संरक्षण के बिना संभव नहीं।
सांसद बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री से अपील की कि ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने तंज कसा कि हां, ठीक बात है कि आपके बड़े-बड़े रोजगार हैं, इसलिए आप भूल जाते हैं। आप राजा हो तो राजा-महाराजाओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए, घर बैठना चाहिए।
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हाल ही में एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में भी बेनीवाल ने मंत्रियों पर आरोप लगाए थे, जो अब इस विवाद से जुड़ गया है। विपक्षी नेता अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर कहा कि सरकार की लापरवाही से मासूमों की जान जा रही है। जांच हो, लेकिन दोषियों को सजा मिले।
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