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Nagaur News: राजस्थान में बने संगीत कला बोर्ड,नागौरी संगीत संस्थान ने की मांग
नागौर न्यूज डेस्क अमर उजाला
Published by: नागौर ब्यूरो
Updated Tue, 14 Oct 2025 04:16 PM IST
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सार
नागोरी संगीत संस्थान ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को एक विनम्र पत्र लिखकर राजस्थान में 'संगीत कला बोर्ड' गठन की मांग की है। यह बोर्ड भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करेगा।

नागोरी संगीत संस्थान ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखा पत्र
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विस्तार
भारत की समृद्ध संगीत परंपरा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का प्रस्ताव सामने आया है। अनिल नागोरी संगीत संस्थान ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को एक विनम्र पत्र लिखकर राजस्थान में 'संगीत कला बोर्ड' गठन की मांग की है। यह बोर्ड भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करेगा और पारंपरिक संगीत की रक्षा व संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल राजस्थान की लोकधुनों, भक्ति संगीत और शास्त्रीय विधाओं को वैश्विक पटल पर चमकाएगी।
भारतवर्ष की संगीत विरासत में राजस्थान का योगदान अप्रतिम है। यहाँ की मरुस्थलीय धुनें, भजन-कीर्तन और संस्कृत-आधारित सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ सदियों से समाज को प्रेरित करती रही हैं। वर्तमान दौर में आधुनिकता की दौड़ में ये विधाएँ विस्मृत हो रही हैं। संस्थान के निदेशक अनिल नागोरी ने बताया कि युवा पीढ़ी तक इनका हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए संगठित नीतिगत प्रयास जरूरी है। बोर्ड पारंपरिक कलाकारों को राष्ट्रीय मंच देगा, लोक-भक्ति संगीत को शिक्षा से जोड़ेगा और वरिष्ठ संगीतज्ञों को संरक्षण प्रदान करेगा।
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प्रस्तावित बोर्ड के प्रमुख कार्यों में शास्त्रीय संगीत कलाकारों को मंच उपलब्ध कराना, राज्यों के लिए संगीत-संवर्धन योजनाएँ तैयार करना, नवोदित कलाकारों को प्रशिक्षण देना और संस्कृत भाषा से प्रेरित कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। नागोरी ने जोर देकर कहा कि उनकी संस्था वर्षों से भक्ति संगीत व लोक परंपराओं को जन-जन तक पहुँचाने में सक्रिय है और बोर्ड की रूपरेखा में सहयोग के लिए तैयार है।
संगीतकार डॉ. रवि शंकर ने कहा कि यह बोर्ड राजस्थान को सांस्कृतिक राजधानी बना सकता है। केंद्रीय मंत्री मेघवाल से अपील की गई है कि भारतीय संगीत की रक्षा हेतु शीघ्र कार्यवाही करें।

भारतवर्ष की संगीत विरासत में राजस्थान का योगदान अप्रतिम है। यहाँ की मरुस्थलीय धुनें, भजन-कीर्तन और संस्कृत-आधारित सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ सदियों से समाज को प्रेरित करती रही हैं। वर्तमान दौर में आधुनिकता की दौड़ में ये विधाएँ विस्मृत हो रही हैं। संस्थान के निदेशक अनिल नागोरी ने बताया कि युवा पीढ़ी तक इनका हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए संगठित नीतिगत प्रयास जरूरी है। बोर्ड पारंपरिक कलाकारों को राष्ट्रीय मंच देगा, लोक-भक्ति संगीत को शिक्षा से जोड़ेगा और वरिष्ठ संगीतज्ञों को संरक्षण प्रदान करेगा।
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प्रस्तावित बोर्ड के प्रमुख कार्यों में शास्त्रीय संगीत कलाकारों को मंच उपलब्ध कराना, राज्यों के लिए संगीत-संवर्धन योजनाएँ तैयार करना, नवोदित कलाकारों को प्रशिक्षण देना और संस्कृत भाषा से प्रेरित कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। नागोरी ने जोर देकर कहा कि उनकी संस्था वर्षों से भक्ति संगीत व लोक परंपराओं को जन-जन तक पहुँचाने में सक्रिय है और बोर्ड की रूपरेखा में सहयोग के लिए तैयार है।
संगीतकार डॉ. रवि शंकर ने कहा कि यह बोर्ड राजस्थान को सांस्कृतिक राजधानी बना सकता है। केंद्रीय मंत्री मेघवाल से अपील की गई है कि भारतीय संगीत की रक्षा हेतु शीघ्र कार्यवाही करें।