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Surekha Yadav: एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर हैं ये भारतीय, जानें सुरेखा यादव के बारे में

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sat, 26 Apr 2025 10:55 AM IST
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Asia's First Woman Train Driver Surekha Yadav Biography in Hindi Indian Female Loco Pilot
सुरेखा यादव - फोटो : Facebook
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Surekha Yadav: भारत की महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। देश विदेश में भारतीय महिलाओं की काबिलियत को पहचान कर उन्हें सम्मानित पद की जिम्मेदारी दी जा रही है। कहा भी जाता है कि आज की महिलाएं हर काम कर सकती हैं। आसमान में प्लेन उड़ाने से पटरी पर ट्रेन दौड़ाने तक में महिलाएं सक्षम हैं। लेकिन आधुनिक भारत की महिलाओं को आज हर क्षेत्र में मौके मिल रहे हैं, इसी कारण वह अधिक सक्षम है। हालांकि आज की महिलाओं को ये मौके इतिहास की उन महिलाओं के कारण मिले, जिन्होंने पहली बार किसी ऐसे क्षेत्र में कदम रखा, जहां कभी किसी महिला ने प्रवेश ही नहीं किया था। उनके पहले प्रयास और सफलता के कारण ही महिलाओं के लिए रास्ते खुलते चले गए। इन्हीं सफल महिलाओं में शामिल हैं सुरेखा यादव। सुरेखा यादव पहली भारतीय महिला हैं, जो ट्रेन की पायलट बनीं। ट्रेन के ड्राइवर को लोको पायलट कहते हैं। सुरेखा यादव पूरे एशिया की पहली लोको पायलट हैं। चलिए जानते है सुरेखा यादव के रेल ड्राइवर बनने की कहानी।

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सुरेखा यादव का जीवन परिचय

एशिया की पहली महिला रेल पायलट सुरेखा यादव का जन्म महाराष्ट्र में 2 सितंबर 1965 को हुआ था। उन्होंने राज्य के सतारा में स्थित सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। आगे की पढ़ाई के लिए सुरेखा ने वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स किया और बाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया।
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सुरेखा यादव का सपना

पढ़ाई के दौरान सुरेखा आम लड़कियों की तरह भी अपने करियर और भविष्य को लेकर सपने देखा करती थीं। उन दिनों वह लोको ड्राइवर नहीं, बल्कि टीचर बनना चाहती थीं। उन्होंने टीचर बनने के लिए बी-एड की डिग्री प्राप्त करने की योजना बनाई थी। हालांकि बाद में उनकी राह बदली और वह रेलवे में शामिल हो गई।

सुरेखा की रेलवे में नौकरी

टेक्निकल बैकग्राउंड और ट्रेनों को लेकर सुरेखा को बचपन से लगाव था। उन्होंने पायलट के लिए फॉर्म भर दिया। साल 1986 में उनकी लिखित परीक्षा हुई, जिस में पास होने के बाद इंटरव्यू भी क्लियर कर लिया। बाद में सुरेखा कल्याण ट्रेनिंग स्कूल में सहायक चालक के तौर पर नियुक्त हुईं। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 1989 में सुरेखा यादव नियमित सहायक ड्राइवर के पद पर प्रमोट हो गईं।

सुरेखा यादव का करियर

सुरेखा ने सबसे पहले मालगाड़ी के ड्राइवर के तौर पर करियर की शुरुआत की। धीरे धीरे उनकी ड्राइविंग स्किल्स बेहतर होती गई। साल 2000 में मोटर महिला के पद पर उनका प्रमोशन हुआ। उसके बाद साल 2011 में सुरेखा एक्सप्रेस मेल की पायलट बनीं। इसी के साथ महिला दिवस के मौके पर सुरेखा यादव को एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर होने का खिताब हासिल हुआ। सुरेखा ने सबसे खतरनाक रेलवे रूट माने जाने वाले पुणे के डेक्कन क्वीन से सीएसटी रूट पर ट्रेन ड्राइविंग की है।
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