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ISC 2025 Topper: 17 साल की टाॅपर सृजनी ने पेश की मानवता की मिसाल, खास वजह से छोड़ दिया अपना उपनाम

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Mon, 05 May 2025 06:33 PM IST
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सार

ISC 2025 Topper Srijani  सृजनी ने 12वीं बोर्ड परीक्षा का रजिस्ट्रेशन फार्म भरते समय अपने उपनाम को नहीं लिखा। सरनेम का उपयोग न करते हुए उन्होंने ये संदेश दिया कि वह सिर्फ मानवता पर विश्वास करती हैं।

ISC 2025 Topper Srijani Removes Surname For Humanity Know About 17 Year Old Srijani From Kolkata
टॉपर सृजनी बनी प्रेरणा - फोटो : instagram
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ISC 2025 Topper Srijani : कोलकाता की 17 साल की छात्रा सृजनी ने ISC कक्षा 12वीं की परीक्षा 2025 में पूर्णांक 400 में से 400 अंक प्राप्त कर देशभर में पहला स्थान हासिल किया है। सृजनी की सफलता सिर्फ अंकों में टाॅप करने तक नहीं है, बल्कि इंसानियत की परीक्षा में भी वह टाॅपर हैं। शिक्षा सिर्फ अंक प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज को जागरूक करने का भी एक सशक्त साधन है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सृजनी ने केवल शैक्षणिक उपलब्धि तक सीमित न रहकर, समाज में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ एक नई मिसाल भी कायम की है।

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कौन हैं सृजनी?

सृजनी कोलकाता की रहने वाली हैं। वह 17 साल की हैं और इसी साल हुए इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट (ISC Exam) परीक्षाओं में टाॅप किया है। सृजनी ने फ्यूचर फाउंडेशन स्कूल से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की। सृजनी की मां का नाम गोपा मुखर्जी है जो कि गुरुदास कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं, जबकि उनके पिता देबाशीष गोस्वामी भारतीय सांख्यिकी संस्थान में गणितज्ञ हैं। उनके पिता को साल 2012 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी मिला है।
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सृजनी का सराहनीय कदम

सृजनी ने 12वीं बोर्ड परीक्षा का रजिस्ट्रेशन फार्म भरते समय अपने उपनाम को नहीं लिखा। सरनेम का उपयोग न करते हुए उन्होंने ये संदेश दिया कि वह सिर्फ मानवता पर विश्वास करती हैं। 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं से पहले एक साहसिक कदम उठाते हुए, उन्होंने बोर्ड के सामने एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसमें उन्हें केवल अपने प्रथम नाम का उपयोग करके पंजीकरण करने की अनुमति देने की मांग की गई।

सरनेम छोड़ने का कारण

सृजनी बताती हैं, "मुझे एक ऐसे समाज की कल्पना करनी है जहां हम इंसान को सिर्फ इंसान समझें, उसकी जाति, धर्म या आर्थिक स्थिति देखकर नहीं।" सृजनी के मूल्यों पर उनके माता-पिता का गहरा प्रभाव है। सृजनी की मां ने भी शादी के बाद कभी अपना अंतिम नाम नहीं बदला। उन्होंने अपने बच्चों को यह स्वतंत्रता दी कि वह मां या पिता किसी का भी उपनाम ले सकते हैं। इसलिए उनके अभिभावकों ने सृजनी और उनकी बहन के जन्म प्रमाण पत्र पर भी उपनाम न लिखवाने का फैसला लिया। सृजनी की माता और पिता दोनों ही पितृसत्तात्मक मानदंडों और जाति व्यवस्था के खिलाफ हैं। 

बालात्कार पीड़िता के लिए उठाई आवाज

इसके पहले अगस्त 2024 में सृजनी ने अपनी बहन और अन्य रिश्तेदारों के साथ एक पीजीटी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ आवाज उठाते हुए "रिक्लेम द नाइट" नामक सामूहिक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। यह मार्च न्याय और महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक सामूहिक आह्वान था।

सृजनी की उपलब्धियों और आदर्शों को मान्यता देते हुए राज्य के ऊर्जा मंत्री और टॉलीगंज के विधायक अरूप बिस्वास ने रानीकुठी में स्थित उनके घर जाकर उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मानित किया। विधायक ने उनके उपनाम छोड़ने के फैसले की सराहना की।

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