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Biker Dadi: बाइकर दादी कौन हैं? 87 की उम्र में ‘शोले स्टाइल’ में स्कूटी चलाने वाली मंडाकिनी शाह की कहानी
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Tue, 25 Nov 2025 11:24 AM IST
सार
Biker Dadi Mandakini Shah : मंदाकिनी और उनकी छोटी बहन उषा जब भी स्कूटी पर निकलती हैं, लोग हैरानी से देखते रह जाते हैं। स्कूटी के साइडकार में बैठी उषा दुपट्टा लहराती हैं, तो वहीं आगे चलती मंदाकिनी भी पूरे टशन में नजर आती हैं। दोनों का अंदाज़ किसी फिल्मी सीन जैसा ही लगता है।
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बाइकर दादी मंदाकिनी शाह
- फोटो : Instagram
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विस्तार
Biker Dadi Mandakini Shah : उम्र कितनी भी हो जाए, दिल का इंजन अगर चल रहा हो तो जिंदगी कभी धीमी नहीं होती। अहमदाबाद की मंदाकिनी शाह को लोग प्यार से ‘बाइकर दादी’ भी कहते हैं। वह उम्र की सीमा तोड़ रफ्तार वाली जिंदगी का सबसे जिंदा उदाहरण हैं। 87 साल की उम्र में भी वे अपनी छोटी बहन उषा के साथ स्कूटी पर सवार होती हैं, बिल्कुल फिल्म ‘शोले’ के जय–वीरू की तरह। बालों में भले ही सफेदी नजर आती है, पर हौसलों का रंग अब भी गहरा है। यह सिर्फ दो बहनों की मज़ेदार राइड नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए एक बेबाक संदेश है, कि ज़िंदगी किसी उम्र की मोहताज नहीं।
कौन हैं मंदाकिनी शाह?
मंडाकिनी शाह का जीवन सिर्फ रोमांच से भरा नहीं, बल्कि सेवा और शिक्षा से भी परिपूर्ण है। वे एक शिक्षिका रह चुकी हैं और लंबे समय तक समाज सेवा से भी जुड़ी रहीं। 62 की उम्र में उन्होंने तब पहली बार स्कूटी को हाथ लगाया, जब बहुत से लोग रिटायरमेंट के नाम पर धीमे पड़ जाते हैं। लेकिन दादी ने तब ‘गियर’ बदला और आज 87 की उम्र में भी उनका हर दिन नए उत्साह के साथ शुरू होता है। एक शिक्षिका आज अहमदाबाद की आइकाॅन बन गई हैं।
‘शोले स्टाइल’ राइड से देती हैं संदेश
मंदाकिनी और उनकी छोटी बहन उषा जब भी स्कूटी पर निकलती हैं, लोग हैरानी से देखते रह जाते हैं। स्कूटी के साइडकार में बैठी उषा दुपट्टा लहराती हैं, तो वहीं आगे चलती मंदाकिनी भी पूरे टशन में नजर आती हैं। दोनों का अंदाज़ किसी फिल्मी सीन जैसा ही लगता है। जय-वीरू की दोस्ती से प्रेरित होकर दोनों ने इस स्टाइल को अपनाया और उम्र की सीमा को तोड़ दिया। उनका ये स्टाइल सभी के लिए संदेश है कि जिंदगी को खुलकर जियो, वरना उम्र केवल एक संख्या ही रह जाएगी। ये दोनों बहनें रोज शहर की गलियों में घूमती हैं, खरीदारी करती हैं, रिश्तेदारों के घर जाती हैं और मुस्कुराते हुए लोगों को प्रेरित करती हैं।
87 साल की उम्र में भी एक्टिव
मंदाकिनी सिर्फ राइडर नहीं हैं; वे संगीत सुनना पसंद करती हैं, लोगों को गेम्स सिखाती हैं और सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। उनकी जिंदादिली को देखकर लोग अक्सर कहते हैं, कि अगर जिंदगी जीनी हो, तो बाइकर दादी की तरह। उनका हौसला दिखाता है कि जीवन को जीने का तरीका उम्र के साथ नहीं, बल्कि सोच के साथ बदलता है।
लोग क्यों प्रेरित होते हैं बाइकर दादी से?
मंदाकिनी 62 की उम्र में पहली बार स्कूटी सीखी और 87 में भी बिना डर और संकोच के सड़कों पर राइड करती हैं। बहन के साथ उनकी दोस्ती और बंधन दिल छू लेता है। वह जीवन भर सोशल वर्क और शिक्षा से जुड़ी रहीं हैं। इस उम्र में भी वह ऊर्जा, आत्मविश्वास और खुशी की मिसाल हैं।
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कौन हैं मंदाकिनी शाह?
मंडाकिनी शाह का जीवन सिर्फ रोमांच से भरा नहीं, बल्कि सेवा और शिक्षा से भी परिपूर्ण है। वे एक शिक्षिका रह चुकी हैं और लंबे समय तक समाज सेवा से भी जुड़ी रहीं। 62 की उम्र में उन्होंने तब पहली बार स्कूटी को हाथ लगाया, जब बहुत से लोग रिटायरमेंट के नाम पर धीमे पड़ जाते हैं। लेकिन दादी ने तब ‘गियर’ बदला और आज 87 की उम्र में भी उनका हर दिन नए उत्साह के साथ शुरू होता है। एक शिक्षिका आज अहमदाबाद की आइकाॅन बन गई हैं।
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‘शोले स्टाइल’ राइड से देती हैं संदेश
मंदाकिनी और उनकी छोटी बहन उषा जब भी स्कूटी पर निकलती हैं, लोग हैरानी से देखते रह जाते हैं। स्कूटी के साइडकार में बैठी उषा दुपट्टा लहराती हैं, तो वहीं आगे चलती मंदाकिनी भी पूरे टशन में नजर आती हैं। दोनों का अंदाज़ किसी फिल्मी सीन जैसा ही लगता है। जय-वीरू की दोस्ती से प्रेरित होकर दोनों ने इस स्टाइल को अपनाया और उम्र की सीमा को तोड़ दिया। उनका ये स्टाइल सभी के लिए संदेश है कि जिंदगी को खुलकर जियो, वरना उम्र केवल एक संख्या ही रह जाएगी। ये दोनों बहनें रोज शहर की गलियों में घूमती हैं, खरीदारी करती हैं, रिश्तेदारों के घर जाती हैं और मुस्कुराते हुए लोगों को प्रेरित करती हैं।
87 साल की उम्र में भी एक्टिव
मंदाकिनी सिर्फ राइडर नहीं हैं; वे संगीत सुनना पसंद करती हैं, लोगों को गेम्स सिखाती हैं और सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। उनकी जिंदादिली को देखकर लोग अक्सर कहते हैं, कि अगर जिंदगी जीनी हो, तो बाइकर दादी की तरह। उनका हौसला दिखाता है कि जीवन को जीने का तरीका उम्र के साथ नहीं, बल्कि सोच के साथ बदलता है।
लोग क्यों प्रेरित होते हैं बाइकर दादी से?
मंदाकिनी 62 की उम्र में पहली बार स्कूटी सीखी और 87 में भी बिना डर और संकोच के सड़कों पर राइड करती हैं। बहन के साथ उनकी दोस्ती और बंधन दिल छू लेता है। वह जीवन भर सोशल वर्क और शिक्षा से जुड़ी रहीं हैं। इस उम्र में भी वह ऊर्जा, आत्मविश्वास और खुशी की मिसाल हैं।

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