हिमाचल: शिटाके के बाद अब टर्की टेल मशरूम किसानों को करेगी मालामाल, 20,000 रुपये प्रति किलो है कीमत
पहली बार खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन टर्की टेल उगाने की तकनीक उत्पादकों को देगा। इसे निदेशालाय 30 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय खुंब मेले में भी प्रदर्शित करेगा।

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शिटाके के बाद अब टर्की टेल मशरूम उत्पादकों को मालामाल करेगी। पहली बार खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन टर्की टेल उगाने की तकनीक उत्पादकों को देगा। इसे निदेशालाय 30 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय खुंब मेले में भी प्रदर्शित करेगा। अभी तक निदेशालय ही इस मशरूम को तैयार कर रहा है। इस मशरूम की कीमत बाजार में 20,000 रुपये प्रति किलो तक रहती है। सेहत के लिए यह रामवाण मानी जाती है।

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इस मशरूम की खात बात यह है कि यह स्तन, फेफड़े, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में सहायक होती है। निदेशालय ने हाल ही इस पर सफल शोध किया है। इसे लकड़ी पर उगाने का सफल प्रशिक्षण किया है। इसमें इसकी क्रॉप भी अच्छी आई है। इसमें एंटी बैक्टीरियल के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी हैं। इसके सेवन से कैंसर रोगी को कीमोथैरेपी के कारण होने वाली कमजोरी दूर होगी और वह काफी जल्दी रिकवर होगा। अभी तक यह मशरूम चीन और जापान में उगाई जा रही थी।
पहले टर्की टेल मशरूम को उगाने के लिए गेहूं के भूसे से बनी खाद का प्रयोग किया गया था, जिसमें भी सफलता मिली थीष। इसके बाद बाद पिछले दो वर्षो से लकड़ी के बुरादे पर इसे तैयार करने का शोध किया जा रहा था। इसमें पहले से अधिक उत्पादन हुआ है। एक बैग से चार फ्लैश (तुड़ान) निकले हैं। औषधीय मशरूम होने से इसकी बाजार में अच्छी मांग है। यह मशरूम सुखाकर बेची जाती है। अभी तक यह मशरूम जंगलों में प्राकृतिक रूप से पेड़ों के ठूंठ पर उगती है
उत्पादकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
खुंब अनुसंधान एवं निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि उत्पादकों का औषधीय मशरूम की ओर से रुझान बढ़ रहा है। शिटाके के बाद अब टर्की टेल मशरूम को तैयार करने में निदेशालय ने सफलता हासिल की है। इस मशरूम में कई औषधीय गुण हैं। राष्ट्रीय मशरूम मेले के दौरान भी लोगों को इसकी गुणवत्ता और उगाने की तकनीक के बारे में भी बताया जाएगा।