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मंडी में अनुभवी चेहरों को पीछे छोड़ बिलासपुर मार गया बाजी
अखिलेश महाजन, अमर उजाला नेटवर्क, मंडी
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Fri, 31 Jul 2020 11:58 AM IST
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फाइल फोटो
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मंत्रिमंडल के विस्तार में सीएम जयराम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र मंडी को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 17 में से 14 सीटें जीतकर सूबे में भाजपा की सत्ता की डगर आसान बनाने वाले संसदीय क्षेत्र को तोहफे में मिले मंत्रिमंडल के तीन पदों में से एक से हाथ धोना पड़ा है।
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कांग्रेस से आश्रय के लोकसभा चुनाव में उतरने और हारने के बाद चली खटपट में सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसका सीधा फायदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ड के गृह क्षेत्र बिलासपुर को मिला है। मंडी में कई अनुभवी खिलाड़ी नई पारी के लिए तैयार थे।
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सरकाघाट से लगातार तीन बार विजयी होने वाले कर्नल इंद्र सिंह, फिर सीएम के करीबियों में शुमार सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल, सबसे अधिक मत लेकर जीतने वाले नाचन के विधायक विनोद शर्मा इनमें शामिल थे। मंडी संसदीय क्षेत्र में मौजूदा में कुल्लू से गोविंद शर्मा और राम लाल मारकंडा मंत्री हैं। अगर प्रशासनिक जिले की बात करें तो मंडी से जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह भी है, लेकिन उनका लोकसभा क्षेत्र हमीरपुर पड़ता है।
भाजपा ने छीना है कांग्रेस का गढ़ मंडी संसदीय क्षेत्र
मंडी लोकसभा सीट के अंतर्गत 17 विधानसभा सीटें आती हैं। चंबा के भरमौर के अलावा लाहौल और स्पीति, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सिराज, द्रंग, जोगिंद्रनगर, मंडी , बल्ह, सरकाघाट, रामपुर और किन्नौर सीटें हैं। भाजपा के सांसद रामस्वरूप शर्मा हैं।
परंपरागत रूप से मंडी लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह दो बार सांसद रही हैं। कांग्रेस के इस गढ़ को भाजपा छीन चुकी है।