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पठानिया को मंत्री बनाकर डैमेज कंट्रोल, एक गुट अभी भी नाराज

सुनील चड्ढा, अमर उजाला नेटवर्क, धर्मशाला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Fri, 31 Jul 2020 12:00 PM IST
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himachal cabinet expansion and new cabinet minister rakesh pathania
राकेश पठानिया (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
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राकेश पठानिया के मंत्री बनने से जहां एक ओर कांगड़ा का सियासी किला मजबूत होगा। वहीं दूसरी ओर इस ताजपोशी ने भाजपा का एक गुट नाराज भी कर दिया है। जयराम सरकार बनने के बाद कांगड़ा को चार मंत्री पद मिले थे। जब वरिष्ठ मंत्री किशन कपूर और विपिन परमार को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया तो सरकार पर कांगड़ा की अनदेखी के आरोप लगे। कुछ प्रोजेक्ट जब जिले से बाहर शिफ्ट हुए तो नाराजगी और बढ़ी।

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असली ज्वाला तब फूटी जब वरिष्ठ नेता रमेश धवाला ने संगठन मंत्री पवन राणा के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया था। मुद्दा कांगड़ा बनाम मंडी भी उठा। जयराम ठाकुर ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। अब कांगड़ा को एक और मंत्री पद देकर उठे सियासी तूफान को शांत करने की कोशिश की गई है। लेकिन, इससे एक धड़ा नाराज भी हो गया है। शांता कुमार मंत्रियों के ताजपोशी समारोह में शामिल नहीं हुए। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि ताजपोशी से शांता गुट अंदरखाते नाराज है।
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इसके अलावा परमार, कपूर सहित धूमल गुट इससे नाराज बताए जा रहे हैं। पठानिया की ताजपोशी से नूरपुर से टिकट के दावेदार रहे रणवीर सिंह निक्का सहित कई और बड़े नेता भी नाराज बताए जा रहे हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त केसी शर्मा का कहना है कि विपिन परमार और किशन कपूर के जाने के बाद मंत्रिमंडल में दो ही लोग बचे थे। उसमें एक पद बढ़ना आवश्यक था। इधर, केंद्रीय विवि में जर्नलिज्म विभाग के प्रमुख और राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप नैय्यर का कहना है कि सरकार किसी की भी हो। कांगड़ा को प्राथमिकता देनी चाहिए। 

अफवाह साबित हुई सरवीण का पद जाने की बात 
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया और सियासी गलियारों में सरवीण चौधरी का मंत्री पद वापस लेने की अफवाहें चल रही थीं। इन सभी अफवाहों पर विराम लग गया है। 

कांग्रेस के गढ़ रहे नूरपुर में मोदी ने मैदान में उतारे थे पठानिया

कांग्रेस का गढ़ रहे नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में राकेश पठानिया ने 1996 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में उपचुनाव लड़ा और कांग्रेस को कड़ी चुनौती दी। उपचुनाव में राकेश पठानिया एक हजार मतों से हार गए थे। खास बात यह है कि उस समय नरेंद्र मोदी प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे और उन्होंने ही पठानिया को चुनाव मैदान में उतारा था। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में पठानिया ने पहली बार नूरपुर में भगवा लहराया।

तत्कालीन धूमल सरकार में पठानिया पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे थे। नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक बनने वाले राकेश पठानिया का जन्म 15 नवंबर 1964 को नूरपुर के लदौड़ी गांव में हुआ है। इन्होंने 1991 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। पठानिया जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष, किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव और प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके हैं।

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