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नए मंत्री आला नेताओं की पसंद, जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों के साथ सियासी निशाना भी साधा

सुरेश शांडिल्य, अमर उजाला नेटवर्क, शिमला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Fri, 31 Jul 2020 01:11 PM IST
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himachal cabinet expansion side story
- फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल के नए मंत्री आला नेताओं की पसंद हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा विरोधियों पर भी सियासी निशाना साधा है। नए मंत्री राजपूत, ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग से हैं। इससे जातीय संतुलन बनाया गया है। कांगड़ा को दोबारा मंत्री देने में और अपने बिलासपुर जिले में नड्डा का हस्तक्षेप साफ दिख रहा है। वहीं, सिरमौर जिले को अध्यक्ष मिलने के बाद मंत्री देकर जयराम नई सियासी चाल चले हैं।

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राकेश पठानिया राजपूत, राजेंद्र गर्ग ब्राह्मण और सुखराम चौधरी ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं। एक चौथाई से ज्यादा अनुसूचित जाति को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मिला है। चारों संसदीय हलकों में जयराम ने अपने गृह संसदीय क्षेत्र मंडी को छोड़कर कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला की तराजू बराबर की है। कांगड़ा जिला से मंत्रियों के दो पद खाली हुए थे तो इस जिला को एक मंत्री राकेश पठानिया के रूप में मिला। नूरपुर के आक्रामक वरिष्ठ विधायक राकेश पठानिया कभी धूमल के खास थे, मगर अब वह भाजपा में न्यूट्रल हैं।
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नड्डा और जयराम की भी पसंद बन गए हैं। पठानिया को मंत्री बनाकर सरकार ने राजपूत वर्ग को भी खुश किया है। राज्य में राजपूत एक तिहाई से ज्यादा यानी सर्वाधिक हैं। कांगड़ा से ही पहले एक अन्य मंत्री पद विपिन सिंह परमार के स्पीकर बनने से खाली हुआ तो दूसरा मंत्री बनाने की जरूरत नहीं हुई। पांवटा से सुखराम चौधरी ओबीसी के बाहती समुदाय से संबंधित हैं। सामान्य श्रेणी की सीट पांवटा में इस समुदाय के लोग बहुत हैं। ओबीसी के खाते से सरवीण के बाद दूसरा मंत्री दिया गया है।

राज्य में करीब चौदह प्रतिशत ओबीसी हैं। सुखराम चौधरी हालांकि पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल के करीबी माने जाते रहे हैं, मगर वह अब जयराम के भी करीबी हैं। सिरमौर जिला को दोबारा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष दिलाकर और इसी जिले के विधायक को मंत्री बनाकर बेशक जयराम ठाकुर यहां क्षेत्रीय संतुलन न बना सके, मगर उन्होंने यह एक बड़ा सियासी पैंतरा चला है। इस पैंतरे का अगर किसी को नुकसान हुआ है तो वह पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल हैं। बिंदल के महत्वाकांक्षी समर्थक उन्हें मंत्री बनाना चाह रहे थे। पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा ने मंत्री पद छोड़ा तो यह माना जा रहा था कि मंडी के खाते में ही तीसरा मंत्री जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ।

जयराम ने नड्डा के इशारे को समझ अपने जिले की बात छोड़ बिलासपुर के घुमारवीं के भाजपा विधायक राजेंद्र गर्ग को मंत्री बना लिया। राज्य में करीब अठारह फीसदी ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण युवा नेता राजेंद्र गर्ग संगठन से गहरे जुड़े हैं।  बिलासपुर जिला में पिछली वीरभद्र सरकार में भी यह मांग उठी थी कि क्षेत्रीय संतुलन को बनाने के लिए यहां से मंत्री बने। जयराम सरकार ने भी शुरू में यहां से मंत्री नहीं बनाया। अब नड्डा के प्रभाव से इस बार इस जिले को मंत्री मिलना संभव हो गया।

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