हिमाचल: राज्यपाल बोले- उंगली दिखाने से नहीं, मुट्ठी दबाने से होगी चिट्टे पर चोट
राज्यपाल ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में पुलिस को कड़ी कार्रवाई के साथ चिट्टे से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण भी अपनाना चाहिए।
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राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि चिट्टे पर चोट के लिए उंगली दिखाने से काम नहीं चलेगा, मुट्ठी दबाने से बात बनेगी। राज्यपाल रविवार को गैर-सरकारी संगठनों के समूह संजीवनी की ओर से चिट्टे पर चोट विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में पुलिस को कड़ी कार्रवाई के साथ चिट्टे से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण भी अपनाना चाहिए। समाज से नशे के उन्मूलन के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ धार्मिक संस्थाओं की भागीदारी भी जरूरी है।
विदेशी एजेंसियों द्वारा संचालित नशे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। राज्यपाल ने नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की। कहा कि सरकार और विपक्ष अब जाग गए हैं, विशेष रूप से विधानसभा में और विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इसके लिए नेता प्रतिपक्ष भी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि चिट्टे पर चोट केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक संकल्प है। संजीवनी संस्था नशा विरोधी संदेश के प्रसार के साथ नीति सुधार, क्षमता निर्माण, शोध, जागरूकता और सामुदायिक हस्तक्षेप पर भी काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल को नशे से बचाने के लिए हर व्यक्ति को सतर्क और संवेदनशील रहना होगा। युवाओं का नशे के जाल में फंसना केवल एक व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी एजेंसियां, पुलिस, प्रशासन, पंचायतें, स्कूल, कॉलेज और सामाजिक संगठन एकजुट होकर काम करें तो हिमाचल को नशा मुक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई प्रेरणा से शुरू किए गए नशा मुक्त हिमाचल अभियान को पूरे प्रदेश में जनसमर्थन मिल रहा है।
तस्करी में शामिल पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करो: राज्यपाल शिव
राज्यपाल ने अमर उजाला में रविवार के अंक में प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए चिट्टे की लत लगवा कर युवतियों के शारीरिक शोषण और तस्करी को भी खौफनाक स्थिति बताया। प्रताप शुक्ल ने कार्यक्रम के दौरान डीजीपी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह देश भर में पुलिस बैंड हार्मनी ऑफ द पांइस मशहूर है, उसी तरह चिट्टा तस्करी में शामिल पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई कर मिसाल कायम करो। अपने घर से शुरूआत होनी चाहिए, ताकि कोई सवाल न उठा सके।
17 संस्थाओं ने चिट्टे पर चोट के लिए बनाया रोड मैप
संजीवनी संस्था के बैनर तले प्रदेश के सात जिलों की 17 संस्थाओं ने रविवार को शिमला में कार्यशाला के दौरान चिट्टे पर चोट के लिए रोड मैप तय किया। अध्यक्ष महेंद्र धर्माणी ने कहा कि 17 एनजीओ के साथ समन्वय स्थापित कर चिट्टे पर चोट अभियान के माध्यम से विशेषज्ञों के सुझावों पर पंचायत स्तर पर काम करेगा। महासचिव नरेश शर्मा ने कहा कि कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण कैंप था जिसे फील्ड में लागू किया जाएगा। डा. नितिन व्यास ने संस्था की योजना पर प्रकाश डाला। सलाहकार जोगिंदर कंवर, उपाध्यक्ष नितिन व्यास, डॉ. जोगिंदर सकलानी, ओम प्रकाश शर्मा सहित अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
दवाओं, परिवारिक सहयोग से इलाज संभव
आईजीएमसी की मनोचिकित्सक डॉ. निधि शर्मा ने कहा कि नशे की लत मानसिक बीमारी है। मस्तिष्क में बदलाव से नशा करने की तीव्र इच्छा पैदा होती है। चिट्टा रोगी का डांट फटकार से नहीं दवाओं, काउंसलिंग और परिवारजनों की काउंसलिंग कर उपचार हो सकता है। चिट्टा छोड़ने के बाद, तीव्र इच्छा जागने पर दोबारा चिट्टा लेने से ओवरडोज डेथ होने का जोखिम बढ़ जाता है। तुरंत इलाज न मिलने पर दम घुटने से मौत होती है।
हिमाचल नहीं बन सकता है उड़ता पंजाब : अरविंद
पुलिस उप महानिरीक्षक अरविंद दिग्विजय नेगी ने कहा कि सोशल मीडिया में कई बार हिमाचल की तुलना पंजाब से की जाती है, यह गलत है। हिमाचल कभी उड़ता पंजाब नहीं बन सकता। अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल पुलिस नशा तस्करों पर कार्रवाई करने में भी आगे है। प्रदेश की 1855 पंचायतें रेड, 1108 येलो और 715 ग्रीन जोन में चिन्हित हुई हैं।
एनडीपीएस एक्ट में कठोर प्रावधान : पीयूष वर्मा
वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष वर्मा ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 में राज्य का दायित्व है कि नशे के दुरुपयोग को रोका जाए। धारा 64ए में व्यक्ति के पास 5 ग्राम से कम चिट्टा बरामद होता है और वह स्वीकार करे कि नशा छोड़ना चाहता है, तो उसे पुनर्वास का अवसर देता है। धारा 37 में मादक पदार्थों की व्यावसायिक मात्रा पर जमानत न देने का प्रावधान है।