Himachal: राज्य सूचना आयोग को भी शिमला से कांगड़ा शिफ्ट करने की तैयारी, कैबिनेट बैठक में लग सकती है मुहर
शिमला से अब राज्य सूचना आयोग को कांगड़ा शिफ्ट करने की तैयारी है। इसे नगरोटा बगवां में शुरू किया जा सकता है।
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से अब राज्य सूचना आयोग को कांगड़ा शिफ्ट करने की तैयारी है। इसे नगरोटा बगवां में शुरू किया जा सकता है। 24 नवंबर को राज्य मंत्रिमंडल की होने वाली बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इससे पहले राज्य पर्यटन निगम, वन्य प्राणी विंग, रेरा, नशा निवारण बोर्ड समेत कई कार्यालयों को शिमला से कांगड़ा शिफ्ट का फैसला लिया जा चुका है।
राज्य सूचना आयोग का कार्यालय अभी खलीणी में है। यहां पर राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त बैठते हैं। हालांकि वर्तमान में दोनों पद खाली चल रहे हैं। इन्हें भरने की प्रक्रिया चल रही है। आयोग में कुल 14 नियमित कर्मियों में से केवल तीन ही मिनिस्ट्रियल कैडर से हैं, जिन पर पूरे हिमाचल प्रदेश के मामलों को संभालने की जिम्मेदारी है। वहीं, अधिकांश स्टाफ प्रतिनियुक्ति या आउटसोर्स पर है।
आयोग का गठन 4 फरवरी 2006 को हुआ था। उसी समय से इसका कार्यालय राजधानी शिमला में है। आयोग में चल रहे खाली पदों को भरने की प्रक्रिया के बीच अब इसे राजधानी से बाहर ले जाने की भी तैयारी है। सूत्रों के अनुसार कांगड़ा जिले के एक नेता इसे स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दे चुके हैं। इसके बाद सचिव प्रशासनिक सुधार स्थान के चयन को लेकर उपायुक्त कांगड़ा से भी संवाद कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री से मिले हैं कर्मचारी, कार्यालय शिफ्ट न करने की मांग
राज्य सूचना आयोग के कर्मचारी इस संबंध में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मुलाकात कर चुके हैं और मांग की कि आयोग का कार्यालय शिफ्ट न किया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि कार्यालय का शिफ्ट होना न केवल प्रशासनिक दृष्टि से अव्यावहारिक है, बल्कि यह व्यवस्था को भी प्रभावित करेगा। आयोग की नई सरकारी इमारत छोटा शिमला में सचिवालय के समीप लगभग तैयार हो चुकी है।
यदि कार्यालय धर्मशाला शिफ्ट किया जाता है तो प्रतिनियुक्त कर्मचारी अपने मूल विभागों में लौट सकते हैं, जबकि आउटसोर्स कर्मचारी महंगे किराये के कारण धर्मशाला में रह नहीं पाएंगे, जिससे कार्य सुचारु रूप से चल पाना असंभव होगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आयोग के 72 से 80 प्रतिशत मामलों में शिमला स्थित विभागों के जन सूचना अधिकारी सुनवाई में उपस्थित होते हैं। धर्मशाला जाने से यात्रा भत्ता, वाहन व्यय और अन्य वित्तीय भार सरकार पर बढ़ेगा।