Namansh Syal: विशेषज्ञ रजिंदर सिंह बोले- चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ पायलटों में थे नमंश स्याल
हलवारा एयर बेस से सटे गांव नई आबादी अकालगढ़ में रहने वाले सेना से रिटायर्ड कैप्टन और सैन्य मामलों के विशेषज्ञ रजिंदर सिंह लिट्ट ने विशेष बातचीत में इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विंग कमांडर स्याल को दुबई एयर शो में भारतीय वायु सेना का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था।
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दुबई एयरशो में 20 नवंबर को हुई तेजस लड़ाकू विमान दुर्घटना भारतीय वायु में सेना के विंग कमांडर नमंश स्याल की मौत हो गई। हलवारा एयर बेस से सटे गांव नई आबादी अकालगढ़ में रहने वाले सेना से रिटायर्ड कैप्टन और सैन्य मामलों के विशेषज्ञ रजिंदर सिंह लिट्ट ने विशेष बातचीत में इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विंग कमांडर स्याल को दुबई एयर शो में भारतीय वायु सेना का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। एरोबेटिक फ्लाइंग का मौका केवल उन्हीं को मिलता है जो उच्चतम स्तर की प्रशिक्षण दक्षता और अपने विमान पर पूर्ण महारत रखते हों। स्याल उन्हीं चुनिंदा और सर्वश्रेष्ठ पायलटों में से एक थे। दुर्घटना के संबंध में कैप्टन लिट्ट ने बताया कि 20 नवंबर को साहसी एविएटर थे।
38 वर्षीय विंग कमांडर स्याल 2010 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए थे। कैप्टन लिट्ट कहते हैं कि एरोबेटिक उड़ान केवल प्रदर्शन भर नहीं होती बल्कि यह विमान की क्षमताओं की चरम परीक्षा होती है। हर रोल और लूप में गलती की गुंजाइश लगभग न के बराबर रहती है। ऐसे पायलट व्यक्तिगत शोहरत के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिए उड़ान भरते हैं। विंग कमांडर स्याल ऐसे ही साहसी एविएटर थे। कैप्टन लिट्ट ने कहा कि हर सैनिक के पीछे एक परिवार होता है जो मौन प्रार्थनाओं और अनकहे भय के साथ जीता है। स्याल का जीवन उद्देश्यपूर्ण था और उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। प्रदर्शन के दौरान अचानक तकनीकी खराबी आने से तेजस विमान पर नियंत्रण समाप्त हो गया। विंग कमांडर स्याल ने अंतिम क्षण तक स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन विमान जमीन से टकरा गया और उन्हें कोई अवसर नहीं मिला।