Mandi News: ब्यास के वेग के साथ लोगों की धड़कनें तेज, प्रभावित बोले, हर समय पानी बढ़ने का रहता है डर
ब्यास का जल स्तर बढ़ने पर नदी किनारे रहने वाले लोग जागकर रातें गुजारने को मजबूर हैं। प्रभावितों का कहना है कि उनके पास दूसरी जगह घर बनाने को जगह भी नहीं है। ऐसे में वह जाएं भी तो कहां?
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पहाड़ों पर भारी बारिश के बाद ब्यास के वेग के साथ ही नदी किनारे रह रहे लोगों की धड़कनें भी तेज हो रही हैं। हर समय लोग अपनी और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वीरवार को ब्यास का जलस्तर बढ़ने पर मंडी शहर के कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया था। मगर जलस्तर कम होने के बाद फिर घरों में लौट गए हैं। हालांकि वे खुद भी मान और कह रहे हैं कि खतरा बरकरार है।
ब्यास नदी के किनारे रह रहे कई लोगों ने अपना सामान समेट लिया है और सुरक्षित जगह रख दिया है। ब्यास का जल स्तर बढ़ने पर नदी किनारे रहने वाले लोग जागकर रातें गुजारने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि बरसात में हर समय ब्यास का पानी बढ़ने का खतरा रहता है। पंडोह डैम से पानी छोड़ने पर एकाएक ही जलस्तर बढ़ जाता है। मंडी शहर की इंदिरा आवास कॉलोनी, भ्यूली, रघुनाथ के पधर और खलियार में कई लोग ब्यास के डर से असुरक्षित माहौल में जीने को मजबूर हैं। बरसात के दो माह इनके लिए किसी नरक से कम नहीं हैं। लोगों का कहना है कि हर साल ही उन्हें इस तरह के माहौल में रहना पड़ रहा है। बीती बरसात का कहर देखने के बाद इस बार लोगों ने पहले ही सामान पैक कर लिया है। रसोई और जरूरी सामान ही घरों में रखा है। प्रभावितों का कहना है कि उनके पास दूसरी जगह घर बनाने को जगह भी नहीं है। ऐसे में वह जाएं भी तो कहां? उधर, एसडीएम सदर ओमकांत ठाकुर ने कहा कि लोगों को असुरक्षित जगहों से हटने के लिए कहा गया है। उनके रहने के लिए सुरिक्षत स्थान बनाए गए हैं। मगर यह लोग पानी का स्तर कम होने के बाद दोबारा अपने घरों में जा रहे हैं।
हमारी किस्मत ही खराब है : शिला देवी
इंदिरा आवास कॉलोनी की निवासी शिला देवी ने कहा कि हमारी तो किस्मत ही खराब है। कहा कि वह अपने टूटे-फूटे घर में रहकर ही इस बरसात के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।
हमारा तो घर भी नहीं, फिर से यहीं बनाना पड़ेगा : सुरेंद्र
इंदिरा आवास कॉलोनी के ही सुरेंद्र ने कहा कि उनके पास तो मकान भी नहीं है। वह पिछली बरसात में ब्यास की तेज जलधारा से पूरी तरह से नष्ट हो हो गया था। अभी किराये के मकान में रह रहे हैं, मगर दोबारा से हमें उसी स्थान पर ही मकान बनाना पड़ेगा। इसके अलावा और कोई चारा नहीं और बरसात में तो हर साल इसी तरह से नरक जैसा जीवन जीते हैं।