Shimla: चिट्टा तस्करी में बार-बार पकड़े जाने का आरोपी तीन माह के लिए नजरबंद, जानें पूरा मामला
शिमला जिले में पहली बार पीआईटी(प्रिवेंटिव डिटेंशन) एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक आदतन चिट्टा तस्कर को तीन माह के लिए नजरबंद जेल भेजा है।


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हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में पहली बार पीआईटी(प्रिवेंटिव डिटेंशन) एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक आदतन चिट्टा तस्कर को तीन माह के लिए नजरबंद जेल भेजा है। आरोपी नवांग सोनम के खिलाफ चिट्टा तस्करी के तीन केस दर्ज हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह से मंजूरी मिलने के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई अमल में लाई है। नशा तस्करों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कर रही है जो कि लगातार नशा तस्करी के मामलों में संलिप्त पाए जा रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। नवांग सोनम को पुलिस ने वर्ष 2020 में करीब एक ग्राम चिट्टे, वर्ष 2023 में करीब 14 ग्राम चिट्टे और वर्ष 2024 में करीब 4.50 ग्राम चिट्टे के साथ पुलिस ने पकड़ा था। पुलिस ने आरोपी के बार-बार चिट्टा तस्करी के मामलों में संलिप्तता पाए जाने पर उसे आदतन अपराधी मानते हुए पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू करके मामले को मंजूरी के लिए पुलिस मुख्यालय को भेजा।
पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत जिला शिमला में नवांग सोनम के अलावा दो अन्य मामलों में भी आदतन अपराधियों को जेल में भेजने की अनुमति मिली है। इसमें ननखड़ी का रहने वाला बलबीर और शिमला के डाउनडेल निवासी अमित शामिल है। दोनों आरोपियों के खिलाफ भी नशा तस्करी के एक से ज्यादा मामले दर्ज हैं। इसको देखते हुए पुलिस विभाग इन्हें आदतन अपराधी मानकर इनके खिलाफ उपरोक्त अधिनियम के तहत कार्रवाई कर रही है।
देश में मादक दवाओं और मनप्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार को रोकने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 1988 में पीआईटी एनडीपीएस अधिनियम लागू किया है। यह अधिनियम ऐसी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है, जो कि बार-बार नशा तस्करी में संलिप्त पाए जाते हैं। प्रदेश में इस तरह के मामलों को लेकर सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है। सचिव गृह से किसी भी आरोपी को हिरासत में भेजने के बाद सलाहकार बोर्ड मामले की सुनवाई करता है। इसकी अध्यक्षता प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करते हैं। दो वरिष्ठ अधिवक्ता इसके सदस्य होते हैं। सुनवाई में पुलिस अपना पक्ष प्रस्तुत करती है जबकि आरोपी को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। सलाहकार बोर्ड अपनी राय प्रदेश सरकार को भेजता है और सरकार इस संबंध में निर्णय लेती है।