तिल चतुर्थी कब है और क्यों है जरूरी? जानें अंगारक योग के साथ क्यों है यह दिन विशेष
Til Chaturthi Vrat: तिल चतुर्थी 2026 को सकट चौथ या तिलकुट चौथ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा कर तिल अर्पित किए जाते हैं। व्रत रखने से संकट दूर होते हैं और सुख, सौभाग्य, सफलता व संतान सुख की प्राप्ति होती है।
विस्तार
Til Chaturthi Vrat: तिल चतुर्थी, जिसे सकट चौथ या तिलकुट चौथ भी कहा जाता है, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस चतुर्थी का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे सभी प्रकार के संकटों को दूर करने वाली तिथि माना जाता है। इस दिन भक्त विधि-विधान से भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा करते हैं और उन्हें तिल अर्पित करते हैं, जिससे जीवन की बाधाएं कम होती हैं।
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धार्मिक मान्यता है कि तिल चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का आगमन होता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की कामना करने वालों के लिए भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह व्रत नकारात्मक प्रभावों को दूर कर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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4 प्रमुख चतुर्थियों में से एक
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने दो बार चतुर्थी तिथि आती है, जिनमें भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। इस तरह पूरे वर्ष में कुल 24 गणेश चतुर्थी होती हैं, लेकिन इनमें से चार चतुर्थियों को विशेष रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। सबसे प्रमुख चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी होती है, जिसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन से दस दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत होती है। दूसरी महत्वपूर्ण चतुर्थी माघ मास की तिलकुटा चौथ (सकट चौथ) मानी जाती है। तीसरी खास चतुर्थी वैशाख मास की चतुर्थी है, जबकि चौथी कार्तिक मास की चतुर्थी होती है, जिस दिन सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
तिलकुटा चौथ 2026
हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ या तिलकुटा चौथ कहा जाता है। वर्ष 2026 में तिलकुटा चौथ की चतुर्थी तिथि 6 जनवरी 2026 को सुबह 08:01 बजे से शुरू होकर 7 जनवरी 2026 को सुबह 06:52 बजे तक रहेगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शाम 7:21 बजे से रात 9:03 बजे तक का समय शुभ माना गया है। पूजा के दौरान भगवान गणेश को तिल से बने लड्डुओं का भोग अर्पित करना विशेष फलदायी होता है।
सकट चौथ पर चंद्रोदय और तिल का महत्व
सकट चौथ के व्रत में चंद्रमा के दर्शन का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2026 में 6 जनवरी को रात 8:54 बजे चंद्रोदय होगा। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिलकुटा चौथ के दिन तिल से बनी वस्तुओं का भोग लगाने से भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इस दिन तिल का सेवन और तिल का दान करना भी शुभ माना गया है। ऐसा करने से रोग, कष्ट और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं तथा जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।