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Jagannath Rath Yatra 2020: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 23 Jun 2020 07:39 AM IST
सार

  • 23 जून से विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू
  •  ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को कराया गया था स्नान
  •  अब भगवान जगन्नाथ के एकांतवास यानी क्वारैंटाइन का समय पूरा हो चुका है।

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jagannath puri rath yatra 2020 lord jagannath goes quarantine from jyeshtha purnima and unknown facts
Jagannath Rath Yatra 2020: 23 जून से विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा होगी शुरू
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विस्तार
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Jagannath Rath Yatra 2020: 23 जून, मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा शुरू हो चुकी है। आइए जानते हैं पुरी के भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में कुछ खास बातें।

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रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें

  •  भगवान को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन जिस कुंए के पानी से स्नान कराया जाता है वह पूरे साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। कुंए से पानी निकालकर दोबारा उसे बंद कर दिया जाता है।
  • भगवान को हमेशा स्नान में 108 घड़ों में पानी से स्नान कराया जाता है।
  •  प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ सहित बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं नीम की लकड़ी से ही बनाई जाती है। इसमें रंगों की भी विशेष ध्यान दिया जाता है। भगवान जगन्नाथ का रंग सांवला होने के कारण नीम की उसी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता जो सांवले रंग की हो। वहीं उनके भाई-बहन का रंग गोरा होने के कारण उनकी मूर्तियों को हल्के रंग की नीम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
  • तीनों के रथ का निर्माण और आकार अलग-अलग होता है। रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ अन्य रथों कि तुलना में बड़ा होता है और रंग लाल पीला होता है।  भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है पहले बलभद्र फिर सुभद्रा का रथ होता है।
  • भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहते है जिसकी ऊंचाई 45.6 फुट होती है। बलराम के रथ का नाम ताल ध्वज और उंचाई 45 फुट होती है वहीं सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फुट ऊंचा होता है। 
  • अक्षय तृतीया से नए रथों का निर्माण आरंभ हो जाता है। प्रतिवर्ष नए रथों का निर्माण किया जाता है। इन रथों को बनाने में किसी भी प्रकार के कील या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता।

  • इससे पहले ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले स्नान की प्रक्रिया की गई थी । जिसमें मंदिर के गर्भ गृह से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को निकालकर 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया गया। तब भगवान 15 दिनों के लिए एकांतवास यानी क्वारैंटाइन में थे। 21 जून को इनका  क्वारैंटाइन पूरा हो चुका है। अब 23 जून को नगर भ्रमण पर निकलेंगे।  एकांतवास के दौरान उन्हें काढ़ा पिलाया गया साथ ही अलग-अलग औषधियों से उनका इलाज भी किया गया। दरअसल ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर ज्यादा पानी से स्नान के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं। जिसमें उन्हें खांसी, हलका बुखार और जुखाम हो जाता है। इसी कारण से उन्हें 15 दिनों तक क्वारैंटाइन में रखकर उनका इलाज किया जाता है। अब आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। 

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