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Sarva Pitru Amavasya 2025: 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या, पितरों को प्रसन्न करने वाले दान और उनका महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Thu, 18 Sep 2025 12:32 PM IST
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सार

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या 21 तारीख को ही मनाई जाएगी। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर शुभ योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

Sarva Pitru Amavasya 2025 Check During Surya Grahan Tarpan ्Daan Importance Timings and Significance
सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या 2025 - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या को महालय और सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इस दिन किया गया श्राद्ध कर्म और तर्पण सभी पितरों के नाम से किया जाता है। इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 तारीख को रात 12 बजकर 17 मिनट पर होगी और 21 तारीख को रात में 1 बजकर 24 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या 21 तारीख को ही मनाई जाएगी। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर शुभ योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

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 शास्त्रों में इस दिन का महत्व अत्यधिक बताया गया है क्योंकि यह तिथि उन सभी पितरों के श्राद्ध के लिए होती है जिनकी तिथियां भूल जाने पर, या किसी कारणवश श्राद्ध न कर पाने पर, इस दिन सामूहिक रूप से श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य, पितरों का स्मरण और श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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पितरों की कृपा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पितृदेव ही देवताओं से पहले पूजनीय हैं। मनुस्मृति और गरुड़ पुराण में कहा गया है कि यदि पितर प्रसन्न हों तो देवता भी प्रसन्न होते हैं। वहीं पितरों की नाराजगी को पितृदोष कहा जाता है, जो जीवन में बाधाएं, असफलताएं और अशांति का कारण बनता है। अतः सर्वपितृ अमावस्या के दिन किए गए दान और तर्पण से पितृदोष समाप्त होता है और परिवार पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।

सर्वपितृ अमावस्या पर क्या करें दान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों की तृप्ति हेतु कुछ विशेष वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।

अन्न और अन्न से जुड़ी वस्तुएं
चावल, गेहूं, दाल, तिल और सत्तू जैसी वस्तुओं का दान करने से पितर तृप्त होते हैं। भोजन से जुड़े दान को सर्वोच्च माना गया है क्योंकि यह सीधे अन्नपूर्णा देवी की कृपा से जुड़ा हुआ है।

कपड़े और वस्त्र
जरूरतमंदों को वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। सफेद वस्त्र और धोती-पगड़ी विशेष रूप से दान किए जाते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

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तिल और जल का दान
तर्पण में तिल और जल का विशेष महत्व बताया गया है। तिल का दान पापों का नाश करता है और जल पितरों तक तृप्ति पहुंचाता है।

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स्वर्ण और धातु का दान
शास्त्रों में सोने, चांदी या धातु की वस्तुओं का दान श्रेष्ठ बताया गया है। यह दान समृद्धि का प्रतीक है और इससे जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

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दीपक और गौदान
इस दिन पितरों के नाम के दीये दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। गौदान को सभी दानों में श्रेष्ठ माना गया है। यदि गौदान संभव न हो तो गौमाता को हरा चारा, रोटी और गुड़ खिलाना भी पुण्यकारी होता है।

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अन्य दान योग्य वस्तुएं
जूते-चप्पल, छाता, बर्तन, फल-मिष्ठान, शक्कर और गुड़ जैसी वस्तुएं भी दान करने का विधान है। ये सभी वस्तुएं जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी होती हैं और इन्हें दान करने से पितरों की कृपा शीघ्र मिलती है। 

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