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Sawan 2025: सावन के महीने में क्यों पृथ्वी पर आते हैं महादेव और कहां करते हैं एक माह तक वास ?
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Tue, 08 Jul 2025 02:27 PM IST
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सार
Sawan 2025: पूरे सावन माह भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर क्यों करते हैं वास ? क्या है पौराणिक कथा ?

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 11 जुलाई से शुरू
- फोटो : adobe stock
विस्तार
Sawan 2025: इस वर्ष सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। पूरे एक माह के दौरान शिवजी और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है। सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक और उनकी प्रिय चीजों से रुद्राभिषेक किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं और जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा-आराधना करता है उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। पूरे सावन माह भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर क्यों करते हैं वास ? क्या है पौराणिक कथा ?
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शिवपुराण के अनुसार, देवी सती के पिता राजा दक्ष ने अपने महल में एक बार बहुत बड़ा और भव्य यज्ञ का आयोजन किया। राजा दक्ष ने सभी देवी-देवता, ऋषियों-मुनियों और राजाओं को निमंत्रण दिया, लेकिन दक्ष ने अपने दामाद भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए उनको आमंत्रित नहीं किया। जब माता सती को अपने पिता के द्वारा किए गए विशाल यज्ञ के बारे में पता चला तो, वह बहुत उत्साहित और खुश हुईं। फिर भोलेनाथ से यज्ञ में शामिल होने के लिए जिद करने लगी, तब भगवान शिव ने यज्ञ में बिना निमंत्रण के जाने से इंकार कर दिया। लेकिन देवी सती भगवान की याज्ञा का पालन न करते हुए अपने पिता के घर यज्ञ में बिना शिवजी के चली गईं।
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Sawan 2025: सावन माह शुरू होने से पहले घर पर जरूर ले आएं ये चीजें, बरसेगी महादेव की कृपा
माता के अपने पिता दक्ष के घर पहुंचने पर भव्य और विशाल यज्ञ के आयोजन को देखा, जहां पर सभी को निमंत्रण मिला और वहां पर उपस्थित दिखे, लेकिन महादेव को यज्ञ में निमंत्रण नहीं मिला और पिता द्वारा भगवान शिव का लगातार अपमान कर रहे थे। यह सब देखकर माता बहुत ही क्रोधित हुईं और उसी यज्ञ में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। हवनकुंड में कूदने से पहले उन्होंने प्रण लिया कि जब भी उनका जन्म होगा वह महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करेंगी। सती के यज्ञ कुंड में खुद को दाह कर लेने का जब शिवजी को पता चला तो वह क्रोध से भर उठे और उन्होंने अपने गण वीरभद्र को दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने का आदेश दिया। शिव के आदेश पर वीरभद्र ने यज्ञ विध्वंस कर राजा दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया और उसे उसी यज्ञ कुंड में डाल दिया। इससे समस्त देवताओं में हाहाकार मच गया। फिर सभी देवताओं ने शिव की स्तुति की एवं स्वयं ब्रह्मा जी ने शिव से दक्ष को क्षमादान देने का आग्रह किया। जिस पर शिव ने दक्ष को माफ तो कर दिया, पर उनके सामने यह संकट खड़ा हो गया कि दक्ष का सर तो यज्ञ कुंड में स्वाहा हो चुका है तो उन्हें कैसे जीवित किया जाए। इस पर एक बकरे के सिर को काटकर उनके धड़ पर लगाया गया। इसके बाद दक्ष के आग्रह पर शिव ने यहीं पर एक शिवलिंग स्थापित किया और पूरे सावन मास यहीं पर रहने का दक्ष को वचन दिया।
Sawan 2025: इन वर्ष सावन में बनेगा बेहद खास और दुर्लभ योग, शिव आराधना के लिए रहेगा उत्तम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब देवी का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में पृथ्वी पर तो उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया। सावन के महीने में ही भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया था, इस कारण से हर वर्ष सावन के महीने में भोलेनाथ पृथ्वी पर आते हैं और अपनी ससुराल जो हरिद्वार के पास कनखल में है वहां पर दक्षेश्वर के रूप में विराजमान होते हैं।
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