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Vaishakh Purnima 2025: 12 मई को वैशाख माह की पूर्णिमा जानिए महत्व और भगवान बुद्ध के चार आर्य सत्य

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Thu, 08 May 2025 04:34 PM IST
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सार

Vaishakh Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा की शुरुआत 11 मई को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 12 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा।

Vaishakh Purnima 2025 Date know Importance and Lord Buddha Four Noble Truth
बुद्ध पूर्णिमा - फोटो : adobe stock
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Vaishakh Purnima 2025: स्कन्द पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को समस्त मासों में श्रेष्ठ बताया है, इसलिए यह मास विष्णु भगवान को अत्यंत प्रिय है।। इस माह में हजारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थों पर स्नान, दान व पुण्य कर्म करके मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘बुद्ध पूर्णिमा’ या ‘पीपल पूर्णिमा’ कहा जाता है। इस दिन का संबंध न केवल भगवान बुद्ध से है, बल्कि यह दिन भगवान विष्णु को भी समर्पित है और पुराणों के अनुसार महात्मा बुद्ध, भगवान विष्णु के नौवें अवतार माने गए हैं।
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कब है पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा की शुरुआत 11 मई को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 12 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। ऐसे में इस बार 12 मई को वैशाख पूर्णिमा मनाई जाएगी। वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 05 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस समय आप अर्घ्य दे सकते हैं।
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पुष्करणी तिथियों का पुण्यफल
वैशाख शुक्ल त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ 'पुष्करणी तिथियाँ' कही गई हैं। इन दिनों में स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी को अमृत प्रकट हुआ, द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की, त्रयोदशी को देवताओं ने सुधा पान किया, चतुर्दशी को दैत्यों का संहार हुआ और पूर्णिमा को देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हुआ। अतः यह तिथियाँ पापों के विनाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति कराने वाली मानी गई हैं।

धर्मराज को प्रसन्न करने का दिन
वैशाख पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज की कृपा प्राप्त करने हेतु व्रत रखने और दान करने का विधान है। इस दिन जल से भरा कलश, छाता, जूते, पंखा, सत्तू और पकवान आदि का दान करना विशेष फलदायी माना गया है। यह दान गोदान के समान फल देता है और धर्मराज की कृपा से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। नारद पुराण के अनुसार, इस दिन जितना अधिक दान किया जाए, उतने ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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भगवान बुद्ध के चार आर्य सत्य
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के जीवन की तीन प्रमुख घटनाएं- जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण- स्मरण की जाती हैं। उन्होंने ‘चार आर्य सत्य’ बताए: पहला – दुःख है, दूसरा – दुःख का कारण, तीसरा – दुःख से मुक्ति संभव है और चौथा – मुक्ति का मार्ग। अष्टांगिक मार्ग (सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाक, कर्म, आजीव, प्रयास, स्मृति और समाधि) को उन्होंने दुःख से छुटकारे का साधन बताया। उन्होंने कहा कि केवल मांसाहार नहीं, अपितु क्रोध, द्वेष, छल-कपट, ईर्ष्या और निंदा भी मानव को अपवित्र बनाते हैं।



 
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