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ओलंपिक मेडलिस्ट सुहास: दिन में प्रशासनिक काम तो रात दस बजे से करते थे दो घंटे अभ्यास

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Rajeev Rai Updated Mon, 06 Sep 2021 09:57 AM IST
सार

टोक्यो पैरालंपिक में पैरा बैडमिंटन स्पर्धा में सुहास एथिराज रजत पदक जीतकर इतिहास रच चुके हैं। पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी ने पैरा खेलों के आखिरी दिन पदक अपने नाम किया।  
 

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TOkyo Paralympics 2020: Para shuttler and Gautam buddh nagar DM SUhas ly inspirational journey and hard work
सुहास यथिराज - फोटो : social media
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विस्तार
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अगस्त के अंतिम सप्ताह में टोक्यो रवाना होने से पहले जब सुहास से उनके बैडमिंटन अभ्यास और डीएम के रूप में काम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि मैं दिन के सभी काम खत्म होने के बाद रात 10 बजे से दो घंटे तक अभ्यास करता हूं। मैं लगभग छह वर्षों से इस तरह से अपने खेल और प्रशासनिक कर्तव्यों का प्रबंधन कर रहा हूं।

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पांच साल पहले शुरू किया था सफर
उनकी पेशेवर यात्रा 2016 में शुरू हुई जब वह पूर्वी यूपी के आजमगढ़ जिले के डीएम थे। वहां एक बैडमिंटन चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि मैं टूर्नामेंट के उद्घाटन में अतिथि था और भाग लेने की इच्छा जताई। तब तक यह मेरे लिए एक शौक था क्योंकि मैं बचपन से बैडमिंटन खेल रहा था। मुझे वहां खेलने का मौका मिला और मैंने राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को हरा दिया। तब पैरा-बैडमिंटन टीम के मौजूदा कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और इसे पेशेवर के तौर पर अपनाने की सलाह दी। इसी साल उन्होंने बीजिंग में एशियाई चैंपियनशिप में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले गैर-रैंक वाले खिलाड़ी बन गए।

2017 व 2019 में गोल्डन डबल
सुहास ने 2017 और 2019 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल और युगल में स्वर्ण जीते। उन्होंने ब्राजील में 2020 में स्वर्ण पदक जीता। जब जुलाई में टोक्यो पैरालिंपिक में उनकी भागीदारी की पुष्टि हुई, तो सुहास ने कहा कि यह प्रतियोगिता निस्संदेह एक चुनौती होगी और अपनी श्रेणी में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी होने के नाते, वह पदक के दावेदार होंगे।

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सुहास ने कड़ी मेहनत से पाया यह मुकाम : ऋतु  
सुहास की पत्नी ऋतु सुहास ने कहा कि देश के लिए पैरालंपिक में खेलना उनका सपना था। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए अपनी जिंदगी के छह कीमती साल समर्पित कर दिए। यह रजत पदक उसी का फल है। जब वे पैरालंपिक में जा रहे थे तो मैंने उन्हें यही कहा था कि नतीजे की चिंता किए बिना बस अपना श्रेष्ठ खेल खेलें और उन्होंने वही किया। उनकी इस कामयाबी का श्रेय सिर्फ उनकी मेहनत को जाता है। वह अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करने पर यकीन रखते हैं। सरकारी सेवा में होने के बावजूद वह खेलने के लिए समय निकाल ही लेते हैं। वे रोजाना रात को 12 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं। कोच ने भी उनकी काफी मदद की। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि वे जिंदगी में इसी तरह आगे बढ़ते रहें। ऋतु भी पति की तरह प्रशासनिक अधिकारी हैं। वह इन दिनों गाजियाबाद में एडीएम एडमिनिस्ट्रेशन के पद पर तैनात हैं। इनकी शादी 2008 में हुई थी और इनके दो बच्चे हैं।

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