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I League Football: इंटर काशी आई लीग चैंपियन तो बन गई, पर न ट्रॉफी मिली न एक करोड़
हेमंत रस्तोगी, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Tue, 26 Aug 2025 04:46 PM IST
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सार
चर्चिल ने अब तक वापस नहीं लौटाई लीग ट्रॉफी, वाराणसी का क्लब ट्रॉफी के लिए लगातार लगा रहा गुहार।

इंटर काशी की टीम
- फोटो : instagram
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विस्तार
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के आधिकारिक पत्र के अनुसार इंटर काशी ने आई लीग 2024-25 का खिताब जीतने के बावजूद चैंपियन की ट्रॉफी और एक करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि अब तक हासिल नहीं की है। दरअसल, पिछले सत्र में चर्चिल ब्रदर्स पर आई लीग से निलंबन लगाया गया था। इसके बावजूद चर्चिल ने चैंपियन ट्रॉफी अपने पास रखी हुई है और अब तक उसे एआईएफएफ को लौटाया नहीं है।
एआईएफएफ ने आई लीग संचालन समिति की बैठक में यह मामला रखा था। समिति ने फैसला लिया कि चर्चिल को निलंबित करने का मतलब है कि क्लब अब किसी भी टूर्नामेंट में भाग लेने का पात्र नहीं है। लिहाजा, उसकी ओर से ट्रॉफी लौटाना जरूरी है। इसके बाद यह मामला एआईएफएफ की अपील समिति और फिर फुटबॉल महासंघ की सुलह व पंचाट समिति में गया।
फुटबॉल महासंघ ने स्वीकार किया पंचाट का फैसला
पंचाट समिति ने स्पष्ट किया कि चर्चिल को ट्रॉफी लौटानी होगी और इंटर काशी को चैंपियन घोषित किया जाएगा। इस फैसले को एआईएफएफ ने स्वीकार भी कर लिया। इसके बाद इंटर काशी को आधिकारिक रूप से आई लीग का चैंपियन घोषित कर दिया गया।
रिक्स कोर्ट में अपील खारिज, फिर भी नहीं दी ट्रॉफी
चर्चिल ने खेल पंचाट के रिक्स कोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उसकी अपील खारिज हो गई। इसके बावजूद क्लब ने ट्रॉफी लौटाई नहीं है। यही वजह है कि इंटर काशी क्लब प्रबंधन लगातार एआईएफएफ और अन्य अधिकारियों से ट्रॉफी एवं एक करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दिलाने की गुहार लगा रहा है।
इंटर काशी के अध्यक्ष प्रिथिजीत बनर्जी ने कहा कि क्लब का विजेता बनना यूपी की फुटबॉल के लिए बड़ा मौका है। अगर हमें समारोह में यह ट्रॉफी मिले तो यहां के युवा फुटबॉलरों में अलग संदेश जाएगा। वाराणसी के क्लब का आई लीग विजेता बनना यूपी की फुटबॉल में बड़ा बदलाव ला सकता है, पर विजेता होने के बावजूद हम जश्न नहीं मना पा रहे। हमने नियमों का पालन करते हुए चैंपियनशिप जीती है। अब एआईएफएफ को सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें हमारी ट्रॉफी और इनामी राशि तुरंत मिले।

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एआईएफएफ ने आई लीग संचालन समिति की बैठक में यह मामला रखा था। समिति ने फैसला लिया कि चर्चिल को निलंबित करने का मतलब है कि क्लब अब किसी भी टूर्नामेंट में भाग लेने का पात्र नहीं है। लिहाजा, उसकी ओर से ट्रॉफी लौटाना जरूरी है। इसके बाद यह मामला एआईएफएफ की अपील समिति और फिर फुटबॉल महासंघ की सुलह व पंचाट समिति में गया।
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फुटबॉल महासंघ ने स्वीकार किया पंचाट का फैसला
पंचाट समिति ने स्पष्ट किया कि चर्चिल को ट्रॉफी लौटानी होगी और इंटर काशी को चैंपियन घोषित किया जाएगा। इस फैसले को एआईएफएफ ने स्वीकार भी कर लिया। इसके बाद इंटर काशी को आधिकारिक रूप से आई लीग का चैंपियन घोषित कर दिया गया।
रिक्स कोर्ट में अपील खारिज, फिर भी नहीं दी ट्रॉफी
चर्चिल ने खेल पंचाट के रिक्स कोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उसकी अपील खारिज हो गई। इसके बावजूद क्लब ने ट्रॉफी लौटाई नहीं है। यही वजह है कि इंटर काशी क्लब प्रबंधन लगातार एआईएफएफ और अन्य अधिकारियों से ट्रॉफी एवं एक करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दिलाने की गुहार लगा रहा है।
इंटर काशी के अध्यक्ष प्रिथिजीत बनर्जी ने कहा कि क्लब का विजेता बनना यूपी की फुटबॉल के लिए बड़ा मौका है। अगर हमें समारोह में यह ट्रॉफी मिले तो यहां के युवा फुटबॉलरों में अलग संदेश जाएगा। वाराणसी के क्लब का आई लीग विजेता बनना यूपी की फुटबॉल में बड़ा बदलाव ला सकता है, पर विजेता होने के बावजूद हम जश्न नहीं मना पा रहे। हमने नियमों का पालन करते हुए चैंपियनशिप जीती है। अब एआईएफएफ को सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें हमारी ट्रॉफी और इनामी राशि तुरंत मिले।